सामान्यत: 5 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के हर व्यक्ति की आंख दान के लिए उपयुक्त होते हैं। मृृत्यु के 06 घंटे के भीतर नेत्र निकाली जा सकती है। वहीं रैबिज, टिटनेस, एड्स, हेपेटाईटिस, सर्पदंश, जलने या डूबने से हुई मृत्यु में नेत्रों के दान के लिए
नेत्रदान पखवाड़ा
25 अगस्त से 08 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा आयोजित है। प्रयास किया जा रहा है कि प्रदेश में लगभग 25-30 हजार लोग जो कार्निया में सफेदी के कारण अंधे हो चुके हैं उन्हें फिर से रौशनी मिल सके। खोरबहरीन के दोनों नेत्र से अब दो नेत्रहीन व्यक्तियों को नेत्र ज्योति मिल सकेगी।
जिला अस्पताल की नेत्र सर्जन डॉ. उषा सिंह ने बताया कि मृत्यु के बाद आंखें यदि खुली है और नेत्रदान के इच्छुक हो तो आंखे बंद कर दें और गीला रूमाल आंखों पर रख दें। पंखा बंदकर दें जिससे कार्निया खराब न हो।