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कवर्धा

करीब चार लाख खर्च कर रोपे 800 पौधे, दो साल में नहीं बचे 80 पोधें

ग्राम कड़ाकड़ा में वित्तीय वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत वन विभाग द्वारा 2 हेक्टेयर राजस्व भूमि में विभिन्न प्रजाति के 800 नग पौधारोपण किया।

कवर्धाMar 31, 2019 / 12:49 pm

Panch Chandravanshi

80 plants left

80 plants left

इंदौरी. वन विभाग द्वारा पर्यावरण को संरक्षित व संतुलित बनाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 3.900 लाख रुपया खर्च कर अलग अलग प्रजाति के 800 पौधारोपण किया था, जो महज साल दो साल के भीतर में ही रोपनी क्षेत्र में गिनती के पौधे दिखाई दे रहे हैं।
सहसपुर लोहारा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत ढ़ोरली के आश्रित ग्राम कड़ाकड़ा में वित्तीय वर्ष 2016-17 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत वन विभाग द्वारा 2 हेक्टेयर राजस्व भूमि में विभिन्न प्रजाति के 800 नग पौधारोपण किया। पौधा रोपण के कुछ ही दिनों बाद इस योजना को वन विभाग का मानो नजर ही लग गई। तभी तो विभाग के जिम्मेदार इस ओर मुंह फेर लिया। इसी के चलते रोपित पौधे में से महज दो साल के भीतर ही अधिकतर पौधे विकसित होने के पहले मुरझाकर नष्ट होने लगे। इस विषय पर ग्रामीणों से चर्चा के दौरान बताया कि वन विभाग पौधारोपण करने के बाद सुरक्षा के लिहाज से घेराबंदी के लिए पोल व कांटा तार लगाने आए थे। साथ ही पौधारोपण की डिड़ोरा पीटने के लिए स्टिमेड सुचना पटल भी लगाई, जिसमें कार्य एजेंसी की रुप रेखा अंकित है। विभागीय अधिकारियों के अमले कुछ दिन तक तो देखरेख व नन्हे पौधे को दो-चार दिन के अंतराल में नियमित पानी देने आते थे, लेकिन समय के साथ-साथ वन विभाग के अमले कुछ माह बाद लौटकर दोबारा नहीं आया।
पौधारोपण के नाम पर लाखों खर्च
पौधारोपण के नाम पर हर साल लाखों रुपए पानी की तरह बहा देने के बाद भी योजना के तहत रोपित पौधे की रखरखाव में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे रोपित एरिया में लगे पौधे विकसित होने के पहले नष्ट हो जाते हैं या बड़ा नहीं हो पाते। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि योजना के तहत रोपित पौधे पर विभाग केवल औपचारिकता निभा रही है। विभाग की फाइलों में पौधे बड़ा होकर फुलने फलने लगता है तभी तो इस तरह की कई जगह रोपित पौधे की हाल ऐसा ही है ग्राम बंदौरा उनमें से एक हैद्यजो उच्च विभाग द्वारा जांच नहीं हो पाती है।इससे इस तरह के लापरवाही अक्सर सामने आती है।
सुरक्षा घेरा होने के बाद यह हाल
पौधा रोपण के बाद देखभाल नहीं होने से नन्हे पौधें धीरे धीरे मुरझा कर मरने लगे। कुछ बचे पौधे हैं उन्हें गाय भैंस अपना निवाला बनाकर ठूंड में बदल दिया है। कुछ लोग अपने भैंस को लेकर रोपित एरिया में चारा रहे हैं, जिसे रोकने वाला कोई नहीं है। वहीं वन विभाग के अधिकारी समय समय पर मानिटरिंग करने के बजाय बंद कमरों में आराम फरमा रहे हैं, जिसके कारण अब गिनती के पौधे दिखाई दे रहे हैं।
लगाया आम निकल रहे बबुल के पौधे
दो हेक्टेयर राजस्व भूमि पर वन विभाग ने मनरेगा तहत 800 नग आंमला, नीलगिरी, सीताफल जैसे विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपे गए थे, जिसे देखने पर अब रोपण पौधे कम बबुल पेड़ ज्यादा नजर आ रही है। अमुमन यह एक कहावत पर फिट बैठती नजर आ रही है। लगाए आम का पेड़, उग गए बबुल, चारों ओर बन कचरे से अटा पड़ा है। ऐसे में केवल बबुल का पेड़ इस रोपनी क्षेत्र का शोभा बढ़ा रही है।

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