जिला प्रशासन द्वारा गुड़ फैक्ट्री की जांच नहीं की जाती। जांच करने पर कई तरह लापरवाही सामने आएगी। सबसे प्रमुख तो किसानों को उचित दाम नहीं दिया जाता। कहीं 160, कहीं 180 तो कहीं 200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गन्ना खरीदा जाता है। उसमें भी पांच से 10 किलो तक कांटामारी होती है। इसके चलते किसानों के साथ वाद-विवाद, लड़ाई तक की नौबत आ जाती है।
मजदूरों से ले रहे अधिक काम
गुड़ फैक्ट्री की जांच करने पर पता चलेगा कि नाबालिक बच्चों से काम कराया जाता है। मजदूरों को निर्धारित राशि नहीं दी जाती। मजदूरी भुगतान समय पर नहीं दिया जाता। वहीं मजदूरों से 8 घंटे के बजाए 12 से 14 घंटे तक काम लिया जाता है। मतलब शोषण किया जाता है। इस पर प्रशासन को जांच करने की आवश्यकता है।
दूसरी ओर जिला गुड़ इकाई मालिक संघ द्वारा 10 मार्च को जिला प्रशासन के समक्ष शिकायत की गई। शिकायत में अध्यक्ष अमन चंद्रवंशी, उपाध्यक्ष धर्म साहू, कोषाध्यक्ष घनश्याम वर्मा ने बताया कि ग्राम सिंघमपुरी गुड़ फैक्ट्री में मोलासेस का उपयोग किया जा रहा है। खरीदी-बिक्री का लाइसेंस नहीं होने के बावजूद 300 से 400 क्विंटल टीन में भरकर रखा है। उन्होंने कलक्टर से इसकी जांच की मांग की।