बलदाऊ कौशिक बताते है बचपन से उनके पिता रेडियो चालू कर पास रख दिया करते थे। निश्चित समय पर लोकगीत संगीत कार्यक्रम रोजाना सुनने को मिलता था। इससे लगाव बढ़ता गया। उसी गीत-संगीत को नकल करते गाना-बजाना सिखा। उसके बाद अपने पिता, चाचा सहित यार दोस्त को वाद्ययंत्र बजाना सिखाया। बलदाऊ कोई भी वाद्ययंत्र बखूबी बजाना जानते हैं।
ख्याति कलाकार के साथ दे चुके प्रस्तुती
बलदाऊ गीत संगीत में केवल ग्रामीण कलाकार के मंचों पर नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ नामी-गिरामी हस्तियां के साथ अपनी गीत संगीत की छटा बिखेरी चुका है। बैतलराम, पंचराम मिर्झा, सीमा कौशिक सहित लोक कलाकारों के साथ सांझा मंच पर अपना गीत संगीत से लोगों के दिलों पर छाप छोड़ी है। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इन्हें शासन-प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिलता। स्थानीय कार्यक्रम में भी मौका नहीं देते।
बलदाऊ में सबसे खास बात है कि वह बड़ी सुरीली आवाज से पारंपरिक युगल लोकगीत को स्वयं ही दो आवाज़ से पिरोह लेते हैं। गायक तो हैं ही, महिला गायिका की आवाज भी बखूबी निकालते हैं। इसके चलते ही नागपुर के साथ-साथ राजधानी रायपुर सहित प्रदेशभर में विभिन्न स्थानों में संस्था के माध्यम हजारों प्रस्तुती दे चुके हैं। कई मंचों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर सम्मानित हो चुके हैं। उनकी घर की दीवारों में लटके शील्ड व मैडल इनके हूनर को बताता है। साथ कई ओडियो विडियो लोकगीत इंटरनेट पर धमाल मचा चुकी है।