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कवर्धा

वेद-मंत्रों के उच्चारण पर श्रद्धालुओं ने किए पूर्णाहूति

दुर्गा अष्टमी पर नगर भर में त्योहार सा माहौल रहा। सुबह से ही सभी मंदिरों में हवन के लिए तैयारी होती रही। अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग समय पर हवन हुए, जहां श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर आहुति दी।

कवर्धाOct 18, 2018 / 12:13 pm

Panch Chandravanshi

Havan in the temple

Havan in the temple

कवर्धा. शारदीय नवरात्र के अष्टमी पर पूरे अंचल में श्रद्धा-भक्ति के साथ देवी आराधना की गई। सभी देवी मंदिरों व पूजा पंडालों में अष्टमी पर वेदमंत्रों की ध्वनियों के बीच हवन कुंड में आहुति डाली गई।
दुर्गा अष्टमी पर नगर भर में त्योहार सा माहौल रहा। सुबह से ही सभी मंदिरों में हवन के लिए तैयारी होती रही। अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग समय पर हवन हुए, जहां श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में पहुंचकर आहुति दी। नगर के सिद्धपीठ महामाया मंदिर में लगभग १२ बजे के बाद हवन शुरू हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक था कि हवन कुण्ड में आहुति न देकर जहां जगह मिले। वहीं बैठकर आहुति देते रहे। ऐसे श्रद्धालुओं को जहां पर बैठे थे वहीं पर ही सांकला प्रदान किया गया। पूर्णाहूति के बाद श्रद्धालुओं के सांकला को हवन कुण्ड में डाला गया। वहीं मां विंध्यवासिनी मंदिर में दोपहर ११ बजे से हवन शुरू हुआ। हवन के बाद कन्याओं को भोज कराया गया। इस दिन माता का विशेष शृंगार की थी।
मंदिरों व दुर्गा पंडालों में कराया कन्या भोज
मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से लगी रही। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। नगर के सभी देवी मंदिरों में महाष्टमी के हवन-पूजन पश्चात कन्या भोज भी कराया गया। इसमें कई मंदिरों में 21 तो कहीं 27 और 51 बालिकाओं को देवी के रूप में सजाया गया। बालिकाओं को देवी मानकर उनके पैरों में माहुर रचाकर उनकी पूजा-अर्चना की कई और उन्हें भोज कराया गया। इसके साथ ही उन्हें शृंगार के सामान भी दिए गए।
तीन मंदिरों से निकली खप्पर
शहर में खप्पर की परंपरा आज भी कायम है। अष्टमी की मध्य रात्रि को देवी स्वरूप पंडा एक हाथ में तलवार व दूसरे में हाथ में जलती हुई खप्पर लेकर नगर भ्रमण को निकले। मां दंतेश्वरी मंदिर में रात्रि १२.१० बजे अगुवान के एक हाथ में अभिमंत्रित तलवार व दूसरी व्यक्ति के एक हाथ में खप्पर व दूसरे में तलवार लेकर निकले। १० मिनट के अंतराल में मां चंडी मंदिर और फिर मां परमेश्वरी मंदिर खप्पर निकाला गया। तीन मंदिरों से निकले खप्पर को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए थे, जिन्हें संभालने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों की ड्यूटी लगाई गई थी। मध्यरात्रि में शहर का माहौल मेले जैसे रहा।

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