इस प्रौद्योगिकी भवन में मौसम वेधशाला की कार्यशाला की सुविधा भी है, जिससे मौसम संबंधी जानकारी आकंलन किया जाता है, लेकिन वह भी शो-पीस साबित हो रही है। जानकारी अनुसार जरुरी स्ट्रूमेंट पिछले 2 साल से तकनीकी खराबी कारण पड़ी हुई है, जिसे सुधार भी नहीं किया जा रहा है। ऐसे में भला मौसम की जानकारी इस केंद्र से मिल पा रहा है। पिछले 2 साल से आंकड़े नहीं मिल पा रही है। ऐसे में लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद क्षेत्र के लोगों के बेकार साबित हो रहा है। अब उन्हे न तो प्रशिक्षण मिल रहा है और न ही रोजगार का अवसर। ऐसे लोगों में आक्रोश पनप रहा है।
इस प्रौद्योगिक भवन में छ: साल में कम्प्यूटर अंतर्गत प्रशिक्षण के दौरान करीब 200 से अधिक युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त की। मगर इनमें से केवल 40-50 प्रशिक्षार्थियों का एग्जाम लिया गया। साथ ही केवल २०-३० युवाओं को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। बाकी सब प्रमाण पत्र स्टोर रूम में आज भी रखे हुए हैं, जिन्हें लेने प्रशिक्षित युवाओं में कोई दिलचस्पी नहीं ले रही हैं।
प्रौद्योगिक भवन केवल मशरूम उत्पादन तक सिमट कर रह गया है। मशरुम केवल किसानों की प्रदर्शन के किया जाता है, जबकि इसके सिवाए मधुमक्खी पालन सहित सेनेटरी नेपकिन वह तकनीकी प्रशिक्षण संचालित होता। इस वर्ष भी केवल मशरूम उत्पादन किया गया है। वहीं डिपार्टमेंट से कुछ मिलने पर स्थानीय स्तर पर जो सुविधा है उसी से कर्मचारी काम चला रहे हैं।
प्रौद्योगिकी ग्राम का मूल उद्देश्य ग्रामीण आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार, अनुकूल प्रौद्योगिकियों पर प्रशिक्षण, जागरुकता व प्रदर्शन के माध्यम से गरीबी और बेरोजगारी को कम करना। स्थाई विकास के लिए ग्रामीण विकास प्रौद्योगिकी ग्राम के माध्यम से एक अच्छी सोच वाली कार्यनीति विकसित की गई है। ग्रामों के समग्र विकास के साथ जीवन स्तर को ऊॅंचा उठाने, कृषि भूमि की उत्पादनकता को केन्द्र बिन्दु रखते हुए उन समस्त क्षेत्रों की विकासी योजना जिनका सीधे तौर पर ग्रामीण जन जीवन से है को विकास हेतु समावेश किया गया हैं, लेकिन केन्द्र उद्देश्य से भटक गया है।