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कवर्धा

अधिक गन्ना उत्पादन से किसानों को हो रहा लाभ पर तेजी से घट रहा भू-जल स्तर

गन्ना जहां एक ओर यह फसल काफीकारी सिद्ध हो रहा है वहीं इसका नुकसान भविष्य में भारी पड़ सकता है

कवर्धाFeb 26, 2019 / 03:50 pm

Deepak Sahu

Sugarcane

अधिक गन्ना उत्पादन से किसानों को हो रहा लाभ पर तेजी से घट रहा भू-जल स्तर

कवर्धा. नगदी फसल होने की वजह से जिले में गन्ने का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। आर्थिक रूप से काफी अच्छी फसल है, लेकिन दूसरी ओर इसका नुकसान भी अब सामने आने लगा है। गन्ने की फसल से भूजल स्तर नीचे जा रहा है, जो चिंता का विषय बना हुआ है।
गन्ना जहां एक ओर यह फसल काफीकारी सिद्ध हो रहा है वहीं इसका नुकसान भविष्य में भारी पड़ सकता है। गन्ने की फसल के लिए सबसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है। करीब 40 फीसदी पानी की पूर्ति बरसात के समय बारिश कर देता है, लेकिन 60 फीसदी पानी की पूर्ति मोटर पंप और बोर से होता है।
जिले में इस वर्ष करीब 55 हजार हेक्टेयर में गन्ने के उपत्पादन की संभवना है। नगदी और आसान फसल होने की वजह से किसान बड़ी संख्या में इसका उपत्पादन कर रहे हैं। जिले में एक और शक्कर कारखाना तैयार है। जल्द ही यहां पर भी गन्ने की खरीदी होगी। इसके चलते आगामी वर्ष में गन्ने का उत्पादन और भी बढ़ सकता है, जो जिले के भूजल स्तर को भी काफी नीचे ले जाएगा।
इससे सभी क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। फसलों के लिए भी पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा। पंडरिया क्षेत्र में तो पानी के लिए हाहाकार मच सकती है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

फसल चक्र जरूरी
पानी के कमी की भरपाई कर पाना असंभव है। इसके चलते आज यदि इसमें सावधानी बरती जाती है तो ही भविष्य के लिए पानी बच सकता है। इसके लिए मुख्य रूप से फसल चक्र अपनाने की आवश्यकता है। गन्ने को लगातार न लगाकर एक वर्ष का अंतराल रखा जाए। इस एक वर्ष में गन्ने की जगह और कोई भी फसल लगाई जा सकती है।

गन्ने की क्वालिटी में सुधार जरूरी
पानी की बचत के लिए गन्ने की खेती में भी सुधार की आवश्यकता है। आज की स्थिति में सभी किसान एक ही वैरायटी के गन्ने का उपयोग कर रहे हैं। इस वैरायटी में ही सबसे अधिक पानी की खपत होती है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक बूंद गन्ना रस तैयार होने के लिए 80 बूंद पानी ग्रहण करता है। ऐसे में अन्य वैरायटी के भी गन्ने लगाना आवश्यक है।

जिले के किसान अन्य फसल भी लगाए
ऐसा नहीं है कि केवल गन्ना ही नगदी फसल है, जिसके चलते अधिक उत्पादन लिया जाए। इसकी जगह कई फसल और उद्यानिकी है जिससे गन्ने से भी अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। मंहगे किस्म के धान, हल्दी, जिमीकंद ऐसे फसल है जिसमें पानी की मात्रा तो कम लगती ही है साथ ही लागत भी कम रहता है। ताकि जमीन की स्थिति भी बनी रहे और जल स्तर भी ठीक हो सके। लगातार गन्ना फसल के जल स्तर को नुकसान हो रहा है। इसके कारण फसल चक्र बदलना चाहिए। इससे सुधार होगा।

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