scriptआश्रम-छात्रावास से अधीक्षक सप्ताह में दो दिन हो जाते हैं गायब | The ashram-hostel Superintendent's gets two days in the week | Patrika News
कवर्धा

आश्रम-छात्रावास से अधीक्षक सप्ताह में दो दिन हो जाते हैं गायब

जिले में कुल 100 छात्रावास और आश्रम है। इसमें 40 आश्रम व 60 छात्रावास हैं। 16 कन्या आश्रम और 20 कन्या छात्रावास है। अधिकतर आश्रम-छात्रावासों की स्थिति चिंताजनक।

कवर्धाOct 16, 2018 / 11:12 am

Yashwant Jhariya

kawardha

आश्रम-छात्रावास से अधीक्षक सप्ताह में दो दिन हो जाते हैं गायब

कवर्धा . जिले आश्रम व छात्रावास में हजारों बालक-बालिकाएं निवासरत व अध्यनरत हैं। लेकिन वह किस हालात में रहते हैं अधिकारियो को भी पता नहीं, क्योंकि साहब लोग निरीक्षण ही नहीं करते।
कबीरधाम जिले में 100 छात्रावास व आश्रम हैं, जिसमें करीब 6000 बलिकाएं और बालक रहते हैं। वनांचल के आश्रम में वहीं पढ़ाई भी होती है। आश्रम-छात्रावास से स्कूल जाते हुए बालक-बालिकाओं ने बातचीत की। उनसे हॉस्टल के हालात पूछे। इससे पता चला कि अधिकतर आश्रम व छात्रावास में बालक-बालिकाओं को नाश्ता ही नहीं मिलता। सीधे खाना खिलाकर स्कूल भेज दिया जाता है। यहां पर भी मध्याह्न भोजन की तरह स्थिति है। सब्जी के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। जिस आश्रम व छात्रावास में गद्दे, चादर, मच्छरदानी फटे हुए हैं वहां भी बदला नहीं जा रहा। वहीं नहाने के लिए पर्याप्त साबुन भी नहीं दिए। बालक-बालिकाएं जैसे तैसे काम चला रहे हैं।
बच्चे कर रहे रसोइसा का काम
कई ऐसे आश्रम व छात्रावास ऐसे भी हैं जहां खाना रसाइया नहीं वहां पर बालक या बालिकाएं ही बनाते हैं। रसोइया का कभी-कभी हाथ बटाना अलग है, लेकिन पूरी तरह से खाना ही पकाना ही बच्चों का काम नहीं है। इसके लिए शासन की आरे से रसोइया नियुक्त है, लेकिन अधिकतर आश्रम में देखा गया है कि बच्चे ही खाना पकाने में जुट रहते हैं।
अधीक्षक गायब
पंडरिया और बोड़ला के वनांचल स्थित आश्रम और छात्रावास में अधिकतर अधीक्षक दो दिनों के लिए गायब ही हो जाते हैं। शुक्रवार की शाम या शनिवार की सुबह से रवाना होते हैं जो सोमवार को ही वापस पहुंचते हैं। मतलब दो दिनों तक छात्रावास में बच्चे अपने या रसोइया के भरोसे रहते हैं। ऐसे में वहां कुछ हो जाए तो इसकी कोई जवाबदारी नहीं है।
सिंघनपुरी में पहले से दे रहे छुट्टी
बोड़ला विकासखंड के सिंघनपुरी में आदिवासी बालक छात्रावास अधीक्षक द्वारा मनमानी किया जा रहा है। तीन दिन पहले ही आश्रम से बच्चों को उनके घर भेजा जा रहा है। आश्रम से बच्चों को भगाने से खुद भी फ्री हो जाएंगे। इसके कारण पहले से भेजा जा रहा है, जबकि स्कूलों व आश्रमों में 17 नंवबर से दशहरा की छुट्टी होगी। इसके बाद स्कूल व आश्रम सीधे २२ नंवबर को खुलेंगे। लेकिन अधीक्षक द्वारा मनमानी करते हुए छात्रों को जबरन छुट्टी दिया जा रहा है। अधिकतर आश्रम-छात्रावास में छुट्टी नजदीक आते ही पहले से बच्चों को भगा दिया जाता है।
-आश्रम छात्रावासों का लगातार निरीक्षण किया जाता है। कई पर कार्रवाई भी किया गया है।
आशीष बनर्जी, सहायक आयुक्त, आदिम जाति विभाग कबीरधाम

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