देवसरा का खुबसूरत दतराम गुफा, देश का एकलौता ऐसा गुफा जो चोटी से जमीन के अंदर तक सीधा नीचे
पंडरिया के देवसरा नामक गांव में कई गुफाएं हैं। देवसरा तीन ओर से छोटे-छोटे पहाड़ों से घिरा हुआ एक सुंदर गांव है और यहां का सघन व खुबसूरत वन को देखते ही मन रोमांचित हो उठता है। यही पहाड़ों पर कई वृहद सुरंगनुमा गुफ ाओं का जाल बिछा हुआ है।
देवसरा का खुबसूरत दतराम गुफा, देश का एकलौता ऐसा गुफा जो चोटी से जमीन के अंदर तक सीधा नीचे
नेऊर. पर्यटन के दृष्टिकोण से छत्तीसगढ़ में यूं तो सैकड़ों स्थल है लेकिन कबीरधाम जिला इसमें एक विशेष स्थान रखता है। क्योंकि यहां ढेरों अद्भुत रहस्यों व स्थानों को छिपाए बैठा है। इसी में से एक पर्यटन स्थल है दतराम गुफा।
पंडरिया के देवसरा नामक गांव में कई गुफाएं हैं। देवसरा तीन ओर से छोटे-छोटे पहाड़ों से घिरा हुआ एक सुंदर गांव है और यहां का सघन व खुबसूरत वन को देखते ही मन रोमांचित हो उठता है। यही पहाड़ों पर कई वृहद सुरंगनुमा गुफ ाओं का जाल बिछा हुआ है। इसमें से एक है दतराम गुफा। दतराम गुफा अन्य गुफाओं से बिल्कुल अलग है। बाकी सब गुफाओं में थोड़ा नीचे जाने के बाद समतल भूमि होती है लेकिन यहां बस नीचे ही उतरते जाना है। यह गुफ ा देवसरा की एक विरान पहाड़ी पर ३०० फ ीट ऊपर चढऩे के बाद एक छोटे रास्ते से होते हुए लगभग ३०० फीट नीचे तक जाती है, तब जाकर कुछ समतल स्थान मिल पाता है। यह प्राकृतिक रूप से लाखों वर्षों में बना हुआ है इसलिए नीचे जाने पर एक प्राकृतिक बावली निर्मित है जिसमें बारह महीने पानी भरा रहता है। नीचे उतरते समय चारों तरफ दर्जनों सुरंग नुमा गुफ ाएं और शामिल हैं जो इसे भुलभुलैया जैसा बनाता है। यहां काफ ी दलदल है। चमगादड़ों के झुंड भी मौजूद है। यह गुफ ा अत्यंत दुर्गम छोटी संकरी मार्गों से परिपूर्ण है जिसमें चल पाना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पुरात्व विशेषज्ञ यशवंत सोनी ने बताया कि यह सबसे खूबसुर गुफा है। इसकी तुलना किसी अन्य गुफ ा से नहीं की जा सकती है। यहां बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के जाना प्राण घातक हो सकता है। वहीं गांववालों के बगैर गुफ ा के अंदर प्रवेश न करें। इस गुफा को छत्तीसगढ़ पर्यटन स्थल में शामिल किया जाना चाहिए।
गुफा की खास बात…
इस गुफा की सबसे खास बात है कि यहां असंख्य स्टेलेगटाइट व स्टेलेगमाइट से विभिन्न प्रकार की आकृति लिए हुए संरचनाएं बनी हुई। इनमें कई संरचनाएं नरकंकाल, शिवलिंग, शंख, अनेक प्रकार के पुष्प, नारियल, बिल्व पत्र, गणेश जी से मिलती आकृति के रूप में दिखाई देते हैं। यह पर्यटन विभाग के लिए शोध व सर्वेक्षण के लिए एक विशेष उदाहरण बनकर उभर सकता है। यह गुफ ा एक ओर लाखों वर्षों में निर्मित है तो वहीं दूसरी ओर बाहरी दुनिया के लिए अनजान सा बना हुआ है।
मेला लगना अब बंद
पर्यटन के दृष्टिकोण से बेहद सरल व योग्य है। आवश्यकता है तो इसे जन सामान्य के लिए पर्यटकों के लिए आने जाने के लिए बनाए जाने की। पिछले कुछ वर्षों में जब यहां देवी देवताओं की आकृति के संरचनाओं को धार्मिक मान्यता मिल गई थी तब यहां मेला लगना चालू हो गया था। लोगों का इनके अंदर भुलभुलैया में कहीं खो जाने या किसी हादसे का शिकार हो जाने के डर से तत्कालीन कलेक्टर द्वारा इसे बंद कर दिया गया। लेकिन अब इसे संरक्षित करते हुए सुरक्षित रूप से आम जनता के लिए खोला जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में ऐसी संरचना अन्यत्र कहीं नहीं
पंडरिया के इतिहासकार व शोधकर्ता राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि उक्त गुफा में चूने पत्थर के रिसाव से लाखों वर्षो में बनने वाले स्टेलेक्टाइट, स्टेलेगमाइट और ग्रेफ री की अत्यंत सुंदर व मनमोहक संरचनाएं बनी हुई है। भूगर्भ शास्त्री बताते हैं कि ऐसे निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं। यहां बीस वर्ष पूर्व नगर से गए कालेज के प्राध्यापकों और संस्कृति मंडल के सदस्यों ने उस गुफा का विस्तृत मुआयना किया। फोटोग्राफ्स लिए, नमूने जुटाए और सम्बन्धित विभाग को भेजा। रायपुर साइंस कॉलेज के भूगर्भ शास्त्र के विशेषज्ञों की टीम आई। उन्होंने इस स्थान को अद्भुत बताया। उन्होंने कहा कि सम्भवत: छत्तीसगढ़ में ऐसी संरचना अन्यत्र कहीं नहीं है।
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