इस मार्ग पर विद्यार्थियों के साथ साथ किसानों का भी आना जाना होता है। किसानों में जागरुकता के कमी होने के कारण यह मार्ग मेड़ पर ही रह गई है। यदि किसान निस्तारी के लिए एक दो मीटर जमीन दे देता तो आवाजाही के लिए सड़क बन जाता, लेकिन कोई भी किसान जमीन छोडऩे के लिए तैयार नहीं है। जबकि सड़क बन जाने से विद्यार्थियों से लेकर किसानों को भी सुविधा मिलता। पगडंडी में मार्ग सिमटने के लिए बरसात के दिनों में यह मार्ग पूरी तरह बंद होता है। ऐसे में सैकड़ों विद्यार्थियों मजबूरीवश ६ से ७ किमी दूरी तय कर स्कूल पहुंचना पड़ता है।