जी हां, २१०० लाख मतलब २१ करोड़ रुपए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किए कार्यों के ग्रामीणों का मजदूरी भुगतान नहीं हो पाया है। वित्तीय वर्ष २०१८-१९ में कुल एक लाख ६६ हजार ८८२ परिवार अंतर्गत तीन लाख ७३ हजार ५६२ मजदूर मनरेगा के तहत पंजीकृत हुए, ताकि उन्हें रोजगार मिले। अप्रैल २०१८ से अभी तक की स्थिति में कबीरधाम जिले कुल दो लाख ७१ हजार ४४४ ग्रामीणों रोजगार मिला। लेकिन इन ग्रामीणों का करीब २१ करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान नहीं हो सका है। मतलब हजारों मजदूर पिछले कई माह से बिना मजदूरी लिए शासन के विकास कार्य में हाथ बंटा रहे हैं। बावजूद शासन का ध्यान ग्रामीणों पर नहीं है। इसके चलते ही ग्रामीण कलक्टर व जिला पंचायत सीईओ ऑफिस के चक्कर काटते हैं। पंजीकृत मजदूरों को भी काम नहंी मिल पा रही है या काम मिल जाता है तो राशि भुगतान के लिए कलक्टर तक दौड़ लगानी पड़ रही है। कई शिकायते में पंचायत सचिव, सरपंच व रोजगार सहायक की होती है। जिसके कारण मजदूरों को अधिक परेशानी होती है। जिस मंशा से योजना बनाई उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कहीं पलायन का कारण तो नहीं….
जिले में बड़ी संंख्या में पंडरिया, बोड़ला व कवर्धा ब्लॉक के ग्रामीण पलानयन करते हैं। गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित अन्य राज्य व शहर जाते हैं। इसका प्रमुख एक कारण यह भी है कि रोजगार गारंटी में काम तो मिलता है लेकिन मजदूरी के बाद समय रहते भुगतान नहीं होता। गांवों में मजदूरी वहीं करते हैं जो खेती नहीं करते या फिर कम रकबा में खेती है। ऐसे में उन्हें घर-परिवार चलाने के लिए रोजाना ही मजदूरी करनी पड़ती है। ऐसे में यदि महीनों तक राशि भुगतान नहीं होगा तो, उनके पास केवल पलायन का ही एक रास्ता रह जाता है। इसके कारण लोगों को कमाने खाने दूसरे राज्य जाना पड़ रहा है।
बोड़ला में अधिक राशि बकाया
चारों विकासखंड अंतर्गत कुल मजदूरी भुगतान २१०० लाख रुपए बकाया है। इसमें सबसे अधिक ६७४.४० लाख रुपए बकाया है। यहां पर अधिक काम स्वीकृत हुए, जिसके चलते ही इस विकासखंड के ८२ हजार ७८८ ग्रामीणों को अब तक काम मिला, जो जिले में सबसे अधिक है। बोड़ला में राशि भुगतान को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। इससे गांव के लोगों में नाराजगी है। जबकि बोड़ला में गरीब तबके के लोग अधिक रहते हैं। इसके बाद भी काम की राशि समय पर नहीं मिल रही है।