संघ के उपाध्यक्ष अशांक बंजारे और सचिव अजय बंजारे ने बताया कि श्रमिकों के साथ चीफ केमिस्ट द्वारा भेदभाव किया जाता है। कंपनी के श्रमिकों से अच्छा और यहां के स्थानीय श्रमिकों को उनको व्यवहार अलग है। इसके चलते ही ठेका श्रमिकों ने चीफ केमिस्ट का कारखाना से बाहर करने की मांग रखी है। संघ द्वारा वर्षों से अपनी मांग कारखाना प्रबंधक के समक्ष रखी जा रही है लेकिन उनके द्वारा स्थानीय ठेका श्रमिकों की समस्याओं पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है। कारखाना प्रबंधक केवल कारखाना के ठेका कंपनी के श्रमिक व कर्मचारियों पर ही ध्यान देते हैं, जबकि स्थानीय श्रमिकों से मुख्य रूप से काम लिया जाता है।
यदि ठेका श्रमिक इस समय काम बंद कर चले जाते हैं तो कारखाना का कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ जाएगा। गन्ने की खरीदी हो पाएगी न ही पेराई। इसके अलावा विद्युत आपूर्ति भी ठप हो जाएगी। मतलब कारखाना को करोड़ों रुपए का नुकसान होगा। वहीं श्रमिक व प्रबंधक के बीच किसानों को भी भारी नुकसान होगा। किसानों का गन्ना सूख जाएगा, जिससे गन्ने का वजन कम होगा, मतलब कम राशि में बिक्री। मजबूर होकर गुड़ फैक्ट्री में औने-पौने दाम पर बिक्री करना होगा।
गन्ने की खरीदी व पेराई शुरू हो चुकी है। किसानों की संख्या में लगातार बढ़ती जा रही है। इसी बीच श्रमिक कल्याण संघ के ठेका श्रमिक आंदोलन के मूड में है। श्रमिकों की मांगों पर लंबे समय से कारखाना प्रबंधक द्वारा अनदेखी की जा रही है इसके चलते ही नाराजगी है। यह नाराजगी अब आंदोलन का रूप ले सकती है। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना श्रमिक कल्याण संघ द्वारा कलेक्टर और कारखाना प्रबंधक को 10 सूत्री मांग के लिए ज्ञापन सौंपा है। वहीं श्रमिकों ने प्रशासन के साथ प्रबंधक को तीन दिनों का समय भी दिया है यदि इस तीन दिन में उनके मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो वह उग्र आंदोलन करेंगे।
सभी ठेका श्रमिकों का एक साथ पेमेंट बढ़ाया जाए। बाहरी कंपनियों के बजाए स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता दिया जाए। ठेका श्रमिकों का साप्ताहिक रेस्ट बंद कर रविवार का डबल पेमेंट दिया जाए। फर्जी डिग्रीधारियों को कारखाना से बाहर कर नया भर्ती लिया गया है। कुछ ठेका श्रमिकों का पिछले वर्ष कारणवश पंचिंग करना छूट गया था उसको पुन: कार्य पर बुलाया जाए। श्रमिकों के साथ चीफ केमिस्ट को कारखाना से बाहर किया जाए। कुछ ठेका श्रमिकों का जिस दिन से पेमेंट बढ़ाया गया है उसी दिन से बाकी श्रमिकों का एरिया सहित पेमेंट दिया जाए। ठेका श्रमिकों को पोस्ट पद दिया जाए। ठेकादार नहीं बढ़ाया जाए व श्रमिकों का ईपीएफ पटाया जाए। ठेका श्रमिक संघ के सदस्यों ने प्रबंधक को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि आंदोलन काल के समय में कारखाना के विद्युत आपूर्ति विभाग, किसान भाइयों और शासकीय कार्य में बाधा व क्षति पहुंचता है तो उसका समस्त जिम्मेदारी कारखाना प्रबंधक व शासन-प्रशासन की होगी।