शुक्रवार को मामले का खुलासा करते हुए खंडवा एसपी शिवदयाल सिंह ने बताया कि आरोपी अनिरुद्ध मोतेकर खुद को सीबीआई एसपी और महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के नेताओं से गहरी पकड़ बताकर लोगों के बीच धाक जमाता था। शासकीय विभागों से संबंधित कार्य कराने की बात कहता। आरोपी करीब दल साल से जालसाजी कर रहा था। शिकायतों के आधार पर सुभाष नगर स्थित कार्यालय पर सीएसपी ललित गठरे, मोघट टीआई मोहन सिंह सिंगोरे, एसआई विकास खिंची सहित अन्य की टीम ने छापा मारा।
कार्रवाई में दो सौ से अधिक फर्जी शासकीय विभागों की फर्जी सीलें मिली। फर्जी आदेशओं के पालन की स्थिति की जानकारी जुटाने के लिए संबंधित विभागों के लिए पुलिस टीमें रवाना की है। आरोपी मोतेकर के खिलाफ धारा 420, 406 के तहक प्रकरण दर्ज कर पूछताछ की जा रही है।
एसपी ने बताया कि शासन से जारी असली आदेशों को पढ़कर आरोपी मोतेकर ने फर्जी आदेश बनाने की भाषाशैली सीखी। वहीं असली आदेश की कॉपी से संबंधित अधिकारी के हस्ताक्षर काटकर फर्जी आदेश पर लगाता। इसके बाद फोटोकॉपी और स्कैन कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लेता। आरोपी ने राज्यपाल, गृह मंत्रालय, भारत सरकार सहित अन्य विभागों के फर्जी हस्ताक्षर किए। उससे अलग-अलग विभागों की बीस से ज्यादा सील बरामद हुई हैं। ये उसने महाराष्ट्र और कुछ शहरीय क्षेत्र की दुकानों से बनवाई। अब शहर में सील बनाने वाली दुकानों की जांच कराई जा रही है।
आरोपी मोतेकर ने जेल में बंद बंदियों की रिहाई के लिए फर्जी आदेश जारी किए हैं। इनमें बुरहानपुर जिले के निंबोला थाना क्षेत्र के बलात्कार, अपहरण मामले में सजायाफ्ता बंदी को जेल में रिहाई की अनुशंसा के लिए फर्जी पत्र बनाया। वहीं, कोतवाली थाना के एनडीपीएस एक्ट के तहस सजा काट रहे बंदी की रिहाई का फर्जी आदेश जारी किया है। इसके अलावा अन्य आदेश भी मिले हैं। वहीं, पुलिस अब फर्जी आदेशों के पालन की स्थितियों की जांच कर रही है। पुलिस को संदेह है कि कहीं फर्जी आदेश पर कोई बंदी रिहा तो नहीं हो गया।