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खंडवा

वर्ष में 1.11 करोड़ खर्च फिर भी शौचालय की सफाई को 92 प्रतिशत लोगों ने नकारा

आदर्श रेलवे जंक्शन पर तीन साल का 3.34 करोड़ रुपए हुआ है टेंडर, बावजूद फिसड्डी साबित हुए
रैंकिंग में प्रोसेस ऑडिट और ग्रीन स्कोर में पिछड़े, ट्रैक से लेकर मुख्य द्वार तक फैली रहती गंदगी

खंडवाOct 04, 2019 / 12:59 am

जितेंद्र तिवारी

Khandwa railway station got 490th number in cleanliness ranking

Khandwa railway station got 490th number in cleanliness ranking

खंडवा. भुसावल मंडल के आदर्श रेलवे जंक्शन खंडवा की सफाई व्यवस्था पर हर वर्ष 1.11 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते हैं। बावजूद इसके स्टेशनों की स्वच्छता रैंकिंग में 490वीं रैंक के साथ जंक्शन फिसड्डी साबित हुआ है। सर्वे में जंक्शन की शौचालयों की सफाई को 92 फीसदी लोगों ने नकारा तो वहीं महज आठ प्रतिशत यात्रियों ने साफ बताया। इतना ही नहीं प्याऊ में गंदगी और सर्कुलेङ्क्षटग एरिया सहित प्रवेश द्वार पर फैली अव्यवस्थाओं ने रैंकिंग में नंबर कटवाने में अहम भूमिका निभाई है। जंक्शन की सफाई व्यवस्था पर नजर दौड़ाएं तो प्रवेश द्वार पर कचरा व गंदगी फैली रहती है। वहीं पार्र्किंग एरिया में अव्यवस्थित खड़े वाहनों से यात्रियों को आवागमन में परेशानी होती है। प्लेटफॉर्म के शौचालयों की नियमित सफाई नहीं होती। इस कारण दुर्गंध फैलती है। यात्री उनका उपयोग करने से कतराते हैं। यही कारण है कि क्यूसीआइ टीम के सर्वे के दौरान जंक्शन के नंबर कटे और सिटीजन फीडबैक में यात्रियों ने साफ-सफाई की पोल खोल दी।
3.34 करोड़ का टेंडर, फिर भी सफाई नहीं
स्टेशन की सफाई व्यवस्था के लिए रेलवे ने तीन साल के लिए 3.34 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया है। ठेकेदार को हाइजेनिक सफाई करना है। मशीनों से प्लेटफॉर्म सहित अन्य एरिया में दिन में दो बार सफाई होनी चाहिए है। लेकिन हकीकत यह है कि परिसर में ज्यादातर एरिया को सफाई के नाम पर पानी डालकर धो दिया जाता है। प्लेटफॉर्म एक व दो के कुछ हिस्से को मशीनों से साफ किया जाता है। मुख्य द्वार, पार्र्किंग एरिया, रिजर्वेशन काउंटर सहित प्लेटफॉर्म पांच को सिर्फ दिखावे के लिए साफ किया जाता है। इस कारण स्टेशन में गंदगी फैल रही है।
निर्माण व गेज परिवर्तन भी बना रैंक में रोड़ा
जंक्शन की स्वच्छता रैंक गिरने में निर्माण कार्यों व गेज परिवर्तन भी रोड़ा बना है। क्योंकि स्टेशन परिसर में निर्माण के चलते अव्यवस्थाएं फैली हैं। कई स्थानों पर मटेरियल होने से गंदगी जमा हुई और उसकी नियमित सफाई नहीं हो सकी। ठीक इसी प्रकार प्लेटफॉर्म चार व पांच का मीटरगेज पैसेंजर बंद होने के बाद से उपयोग नहीं हो रहा है। ट्रैक पर घास हो रही है। गंदगी व कचरा फैला होने से दुर्गंध फैल रही है। वहीं निर्माण कार्य का मटेरियल भी पड़ा है। इसलिए सफाईकर्मियों सहित रेल अधिकारी इस एरिया की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं।
सिटीजन फीडबैक में यह रही स्थिति
-प्लेटफॉर्म एरिया की सफाई पर शत-प्रतिशत ने जताई संतुष्टि।

-प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त डस्टबिन होना बताया गया।
-शौचालयों की सफाई व्यवस्था पर सिर्फ 8 फीसदी रहे संतुष्ट।

-प्याऊ की साफ-सफाई को 69 फीसदी यात्रियों ने नकारा।
-वेटिंग रूम को 50 प्रतिशत यात्रियों ने साफ तो शेष ने गंदा कहा।
-पूरे स्टेशन की सफाई व्यवस्था को 70.64 फीसदी ने कहा ठीक है।
ट्रैक पर गंदगी तो प्लेटफॉर्म पर मिले श्वान
स्वच्छता रैंक आने के बाद जंक्शन का जायजा लिया तो प्लेटफॉर्म से लेकर मुख्य द्वार तक गंदगी नजर आई। पार्सल कार्यालय के सामने गंदगी से भरे डस्टबिन थे। इनके पास लोग बैठे थे। वहीं प्लेटफॉर्म एक पर यात्रियों के बीच कुत्तें घूम रहे थे। इससे यात्रियों को उनके कांटने का डरा था। ट्रैक पर कचरा था। पानी की प्याऊ में केले के छिलके पड़े थे। प्लेटफॉर्म पांच पर पक्षियों की बीट से गंदगी फैलने से दुर्गंध उठ रही थी। स्थिति यही रही तो जंक्शन की रैंक में सुधार होना मुश्किल है। आगामी वर्षों को देखते हुए रेल अफसरों को परिसर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त और साफ-सफाई की सख्ती से निरागनी करने की जरूरत है।
वर्जन…
स्टेशन परिसर की नियमित सफाई होती है। रैंकिंग किस आधार पर हुई समझ नहीं पाए। हालांकि परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों से व्यवस्थाएं बिगड़ी थी। वहीं मीटरगेज ट्रैक बंद होने और पुराने भवनों के कारण स्टेशन का लुक प्रभावित हुआ है। नवनिर्माण व सफाई पर फोकस कर अगले वर्ष रैंक को सुधारा जाएगा।
जीएल मीणा, स्टेशन प्रबंधक

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