निर्माण व गेज परिवर्तन भी बना रैंक में रोड़ा
-प्लेटफॉर्म एरिया की सफाई पर शत-प्रतिशत ने जताई संतुष्टि। -प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त डस्टबिन होना बताया गया।
-शौचालयों की सफाई व्यवस्था पर सिर्फ 8 फीसदी रहे संतुष्ट। -प्याऊ की साफ-सफाई को 69 फीसदी यात्रियों ने नकारा।
-वेटिंग रूम को 50 प्रतिशत यात्रियों ने साफ तो शेष ने गंदा कहा।
ट्रैक पर गंदगी तो प्लेटफॉर्म पर मिले श्वान
स्वच्छता रैंक आने के बाद जंक्शन का जायजा लिया तो प्लेटफॉर्म से लेकर मुख्य द्वार तक गंदगी नजर आई। पार्सल कार्यालय के सामने गंदगी से भरे डस्टबिन थे। इनके पास लोग बैठे थे। वहीं प्लेटफॉर्म एक पर यात्रियों के बीच कुत्तें घूम रहे थे। इससे यात्रियों को उनके कांटने का डरा था। ट्रैक पर कचरा था। पानी की प्याऊ में केले के छिलके पड़े थे। प्लेटफॉर्म पांच पर पक्षियों की बीट से गंदगी फैलने से दुर्गंध उठ रही थी। स्थिति यही रही तो जंक्शन की रैंक में सुधार होना मुश्किल है। आगामी वर्षों को देखते हुए रेल अफसरों को परिसर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त और साफ-सफाई की सख्ती से निरागनी करने की जरूरत है।
स्टेशन परिसर की नियमित सफाई होती है। रैंकिंग किस आधार पर हुई समझ नहीं पाए। हालांकि परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों से व्यवस्थाएं बिगड़ी थी। वहीं मीटरगेज ट्रैक बंद होने और पुराने भवनों के कारण स्टेशन का लुक प्रभावित हुआ है। नवनिर्माण व सफाई पर फोकस कर अगले वर्ष रैंक को सुधारा जाएगा।