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खंडवा

महाराष्ट्र से सबक लेकर पुलिसकर्मियों की घटाई तीन साल उम्र

वीआइपी ड्यूटी में लगाए थे 32 साल से कम उम्र के जवान, अफसरों ने अनुभव लेकर जवानों को सिखाया, बेहतर बंदोबस्त से ड्यूटी में सफल रही पुलिस

खंडवाNov 27, 2022 / 08:44 pm

Dhirendra Gupta

Lessons from Maharashtra reduced the age by three years

Lessons from Maharashtra reduced the age by three years

खंडवा. भारत जोड़ो यात्रा में बंदोबस्त करना पुलिस के लिए आसान काम नहीं था। आला अफसर हों या फिर आरक्षक, सबके सामने पहली दफा ऐसी ड्यटी आई है। इससे सभी को अनुभव भी मिले और अलग तरह से काम करने का हौसला भी मिला। सुरक्षा व्यवस्था में सबसे अहम थी रस्सा पार्टी की ड्यूटी। इसकी खास बात यह रही कि महाराष्ट्र से सबक लेकर इस ड्यूटी में लगे जवानों की उम्र तीन साल घटा दी गई। महाराष्ट्र पुलिस ने रस्सा ड्यूटी के लिए 35 वर्ष तक के पुलिस कर्मियों को चुना था। इसे देख मप्र में 32 साल से कम उम्र वाले पुलिसकर्मियों को ही इस ड्यूटी में रखा गया। रक्षित निरीक्षक पुरुषोत्तम बिश्नोई ने इस यात्रा से जुड़े अपने अनुभव पत्रिका से साझा किए हैं।
डीआइजी-एसपी ने संभाली कमान
खरगोन रेंज के डीआइजी तिलक सिंह और खंडवा एसपी विवेक सिंह ने सुरक्षा का खाका तैयार करने के लिए रक्षित निरीक्षक बिश्नोई, डीएसपी वास्कले समेत अन्य बल को महाराष्ट्र के सेगांव भेजा था। वहां दो दिन यात्रा के साथ चलकर अनुभव लेने के बाद यहां जवानों को प्रशिक्षित किया गया। आठ दिन पहले से हर तरह की बारीकी समझाई गई।
कमजोर होते हैं पुलिस के पैर
इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था पहली बार थी जब वीआइपी के साथ 25 से 27 किमी तक चलना था। हजारों की भीड़ से वीआइपी को सुरक्षित राना बड़ी चुनौती थी। बताते हैं कि लेदर पॉलिस्ड शूज लगातार पहने रहने से पुलिस और सेना जवानों के पैर कमजोर होते हैं। इसलिए पैदल तेज चलने और सुरक्षा घेरा बनाए रखने का अभ्यास किया गया।
सिर से पांव तक किया बदलाव
रस्सा पार्टी ड्यूटी में शुरूआत सिर से होती है। बार बार खिसने वाली बैरेट कैप को हटाकर मंकी केप जवानों को दी गई। यात्रा में चलने परराूल से बचने के लिए स्कार्फ दिया। नेम प्लेट नहीं लगाई। कई बार धक्का मुक्की में प्लेट टूट जाती है या उसका पिन चुभने की आशंका होती है, इसलिए प्लेट अलग रखी गई। रिस्ट वॉच बांधने की मनाही रही। इसके बाद आते हैं जूते। वर्दी के साथ पहने जाने वाले जूतों से हटकर स्पोर्ट्स शूज का उपयोग किया और उनके फीते बांधने का भी प्रशिक्षण हुआ, ताकि बार बार फीते ना खुलें।
रिबन के रंग ने बताया प्वाइंट
200 मीटर के जिस जूट रस्से का उपयोग किया गया, उसमें प्रत्येक दो मीटर पर अलग रंग का रिबन ऐसे बांधा गया था कि वह अपनी जगह से खिसके ना। महाराष्ट्र में नायलॉन रस्सा उपयोग किया गया था, जिसके परिणाम अच्छे नहीं थे। इसलिए अच्छी पकड के लिए अपने यहां जूट का रस्सा उपयोग हुआ। दो मीटर पर एक जवान और 3 से 4 पुरुषों के बीच एक महिला सिपाही को लगाया। महाराष्ट्र में डेढ़ मीटर के फासले में पैर टकराते देख यहां दो मीटर की दूरी बनाई गई थी।
बिस्कुट, टॉफी के साथ चॉकलेट
रक्षित निरीक्षक बताते हैं कि काम की व्यस्तता, अनियमित खानपान के कारण पुलिस जवान का फिटनेस लेबल कमजोर हो जाता है। इसलिए उनकी खाने की व्यवस्था का खास ध्यान दिया। फर्स्ट मील के लिए पैकेट बनाए, जिसमें दो केले, एक बॉकलेट, कुछ संतरे वाली टॉफी, बिस्कुट और पानी की बोतल रखी गई। इस पैकेट को रखने का इंतजाम भी प्रशिक्षण में बताया था।

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