जीएसटी लागू होने के पहले मप्र विलासिता, मनोरंजनए आमोद एवं विज्ञापन कर अधिनियम-2011 के तहत सिनेमाघरों अथवा अन्य मनोरंजन कर कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट वसूल करता था। अब राज्य सरकार ने राजस्व हानि से बचने के लिए यह अधिकार निकायों को देने का निर्णय लिया है।
आदेश में मनोविनोद व मनोरंजन की परिभाषा दी गई है तथा बिंदुवार उल्लेख किया गया गया है कि क्या-क्या और कौन-कौन इसके दायरे में आएंगे…
– कोई प्रदर्शनी, प्रस्तुतीकरण, मनोविनोद, खेल या क्रीड़ा जिसमें व्यक्तियों को प्रवेश दिया जाता हो।
– डीटीएच सेवा प्रदाता द्वारा सेटेलाइट के माध्यम से उपलब्ध कराया गया मनोरंजन।
– केबल ऑपरेटर द्वारा केबल सेवा के माध्यम से उपलब्ध कराया गया मनोरंजन।
– किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता द्वारा दूरसंचार सेवा के माध्यम से उपलब्ध कराए गए रिंगटोन, संगीत, वीडियो, चलचित्र, एनीमेशन, खेल, जोक्स व अन्य।
– दूरसंचार सेवा प्रदाता या किसी व्यक्ति द्वारा दूरसंचार सेवाओं के माध्यम से आयोजित प्रतियोगिताएं।
– किसी अन्य तकनीकी साधन या उपकरण के माध्यम से उपलब्ध कराया गया मनोरंजन।
अध्यादेश आने के बाद निगम में नगरीय प्रशासन विभाग से आदेश आए हैं। आदेशों के अनुरूप कार्ययोजना बनाकर हम इसे लागू करेंगे। इसका पालन कराएंगे। इसके लागू होने से निगम का राजस्व बढ़ेगा।
जेजे जोशी, आयुक्त, ननि