2011 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 200738 है। 2050 की संभावित आबादी करीब 375000 आंकी गई है। यूआइडीएसएसएमटी के तहत नर्मदा जल योजना की डिजाइन क्षमता 56 एमएलडी है और सुक्ता बांध पर आधारित पानी की आपूर्ति प्रणाली की क्षमता 13 एमएलडी है। कुल 69 एमएलडी को शहर की संभावित आबादी अगले 30 साल के लिए पर्याप्त माना है।
13 एमएलडी सुक्ता जलप्रदाय जसवाड़ी
02 एमएलडी अटल सरोवर नागचून तालाब
45 एमएलडी नर्मदा जल योजना (प्रथम चरण)
(अगले 15 वर्षों के लिए 50 एमएलडी की क्षमता को पर्याप्त बताया गया है)
– रॉ वाटर पम्पिंग के लिए तीन मोटर पंप हैं, जिसकी क्षमता 1174 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा यानी 25 एमएलडी है।
– क्लियर वाटर पंप पर 9 मोटर पंप है। प्रत्येक की क्षमता 327.60 क्यूबिक मीटर प्रति यानी 7.20 एमएलडी है।
– रॉ वाटर और क्लियर वाटर पंप अच्छी स्थिति में लेकिन बिजली के कार्य में सुधार की जरूरत दर्शाई गई है।
– पाइपलाइन 15 बार जीआरपी मटेरियल की है। बार-बार फूटने से आपूर्ति प्रभावित। पूरी तरह बदलना जरूरी बताया।
– इंटेकवेल पर दो नग वर्टिकल टरबाइन है। इन पंपों पर मोटरपंप स्थापित है। 8 से 10 घंटे पंप किया जा रहा है।
– क्लियर वाटर पंप 4 पंप है, जिसमें से सिर्फ 2 नग 10 मीटर हेड व 159 लीटर प्रति सेकंड डिस्चार्ज के हैं।
– रॉ वाटर व क्लियर वाटर पंप अच्छी स्थिति में है फिर भी बिजली के काम में सुधार की जरूरत दर्शाई गई है।
– पाइपलाइन कास्ट आयरन की है, जिसमें जोड़ है। मरम्मत व रखरखाव कठिन। क्लियर वाटर पाइपलाइन बदलना होगी।
100.86 करोड़ का प्रोजेक्ट
75.17 करोड़ से 49500 मीटर पाइपलाइन प्लांट से खंडवा तक
9.86 करोड़ के 11000 मीटर पाइप सुक्ता वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए
8.94 करोड़ 58000 मीटर की वाटर डिस्ट्रीब्यूशन पाइपलाइन
3.91 करोड़ से रॉ व क्लीयर वाटर पंपिंग मशीनरी सुक्ता व प्लांट के लिए
1 करोड़ रुपए हाइड्रोलिक वॉल्व जो ओवरहेड टैंक पर स्काडा सिस्टम के साथ होंगे
1.98 करोड़ रुपए कन्टेंजेंसी राशि के रूप में दो फीसदी के अनुसार
(दूसरा जो प्लान 82.27 करोड़ रुपए का है, उसमें प्लांट से खंडवा तक 37500 मीटर पाइपलाइन के लिए 56.95 करोड़ रुपए प्रस्तावित हैं, जबकि कन्टेंजेंसी राशि 1.61 करोड़ है। शेष प्लान-1 के हिसाब से ही है।)
नर्मदा जल योजना के चारखेड़ा स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर बारिश सीजन में पानी साफ करना चुनौती बन जाता है। टर्बिडिटी बढ़ते ही शहर में मटमैला पानी आने की शिकायतें बढ़ती हैं, क्योंकि प्लांट पर प्री-सेटलिक टैंक नहीं है। पाइपलाइन के बार-बार फूटने से भी दिक्कतें बढ़ती हैं।
शहर की मौजूदा जल प्रणाली के संवद्र्धन के लिए दो तरह के विकल्प सुझाए गए हैं। वर्ष-2050 के लिए मौजूदा जलापूर्ति प्रणाली में सुधार व विस्तार से जुड़े हैं। इन पर निर्णय वरिष्ठ स्तर से होना है।
हिमांशु सिंह, आयुक्त, ननि