खंडवा

न रथ बोड़ाये, न गूंजे धनियर राजा, रनु बाई के गीत

नम आंखों से दी माता को विदाई, विसर्जित किए ज्वारेनिमाड़ का सबसे बड़ा पर्व बिना श्रद्धालुओं के हुआ सम्पन्नट्रैक्टर ट्रॉली में रखकर ले गए ज्वारे, नदियों में हुआ विसर्जन

खंडवाMar 28, 2020 / 09:39 pm

मनीष अरोड़ा

नम आंखों से दी माता को विदाई, विसर्जित किए ज्वारेनिमाड़ का सबसे बड़ा पर्व बिना श्रद्धालुओं के हुआ सम्पन्नट्रैक्टर ट्रॉली में रखकर ले गए ज्वारे, नदियों में हुआ विसर्जन

खंडवा. निमाड़ का सबसे बड़ा पर्व कहा जाने वाला लोक पर्व गणगौर पर इस साल कोरोना वायरस का साया मंडराया। पर्व पर हजारों की तादात में उमडऩे वाली भीड़ इस बार नजर नहीं आई। न तो धनियार राजा, रणुबाई के गीत गूंजे, न रणुबाई को झालरिए झुलाए गए, न ही माता के रथों को बौढ़ाया गया। बाड़ी खुलने के बाद चार-चार दिन तक रथ बौढ़ाकर होने वाले भंडारे भी इस बार नहीं हो पाए। श्रद्धालुओं ने माता से माफी मांग, सीधे बाड़ी से ज्वारे ट्रैक्टर में रखकर विसर्जन किए।
खार. कोरोना वायरस के चलते लगी धारा 144 और लॉक डाउन का पालन करते हुए ग्राम में गणगौर पर्व सादगी पूर्ण रूप से मनाया गया। नियमों का पालन करते हुए ग्राम में माताजी का विसर्जन किया गया। पं. कमलेश बिल्लौरे ने बताया कि माता की बाड़ी में पूजा अर्चना कर ज्वारों को ट्रैक्टर-ट्रॉली में ले जाकर विसर्जित किया गया। बुजुर्गों ने बताया कि पहली बार जीवन में इस तरह से माता रानी को गांव में बिना भ्रमण कर विजर्सन करना पड़ा। विसर्जन के दौरान सभी ने इस संकट की घड़ी से मुक्त होने की कामना की।
गांधवा. कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉक डाउन में मनाए जा रहे गणगौर पर्व का उल्लास ही खत्म कर दिया। शनिवार को माता की विदाई पर न तो कोई उत्साह दिखा, न उमंग, लोगों ने दूर से ही गणगौर के ज्वारों के दर्शन कर माता को नम आंखों से विदाई दी। सारे ग्राम के ज्वारे एक टै्रक्टर-ट्रॉली में इक_े किए गए। ग्राम की प्राचीन बाड़ी के खुलने के बाद भी पुलिस की शक्ति एवं ग्राम समिति के निर्णय के कारण ग्राम में बाड़ी दर्शन को एक भी भक्त नहीं आया। ग्राम में एक भी रथ नहीं सिंगरा गया। ज्वारों की टोकनियां बाड़ी में ही रखी रही। बाड़ी से ही दो ट्रॉलियों में टोकनी या रख कर पूरे ग्राम की ओर से पूर्व जनपद अध्यक्ष अरुण पाटीदार ने गणगौर माता को पीला वस्त्र चड़ाकर विदाई दी। लखोरी नदी में गणगौर घाट पर दस युवाओं ने सोशल डिस्टेंट बना कर, उमा रवींद्र पाटीदार, मनोरमा प्रकाश चंद जानी ने गणगौर की अंतिम आरती कर ज्वारों का विसर्जन किया गया।
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