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खंडवा

गौशाला के पास ओवर ब्रिज औचित्यहीन, लाल चौकी पर फ्लाई ओवर की दरकार

दो साल में एक भी दुघर्टना इस मार्ग पर नहीं हुई, सामान्य रहता है यहां का यातायात, ब्रिज बनने से बस स्टैंड भी होगा प्रभावित

खंडवाMar 25, 2023 / 12:23 pm

Dhirendra Gupta

Over bridge near Gaushala is unjustified, flyover built at Lal Chowki

Over bridge near Gaushala is unjustified, flyover built at Lal Chowki

खंडवा. शहर को बायपास की जरूरत है, जिसके बारे में यहां नेता और अफसर अब तक कुछ नहीं कर पाए। कुछ दिनों पहले एक फ्लाई ओवर बनाने की सनसनाहट हुई। जिसे लेकर यहां के नेताओं ने वाहवाही लूट ली। लेकिन क्या बाकई में वह ब्रिज शहर के लोगों के काम आएगा? उसके फायदे क्या होंगे। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी क्या शहर की समस्या से निजात मिल पाएगी? इन सवालों के जबाव उलझे हुए हैं।
यहां जूनी इंदौर लाइन में दादाजी चौक और गौशाला रोड से सटाकर एक ओवर ब्रिज बनाने की योजना है। करोड़ों रुपए इस ब्रिज में खर्च किए जाने हैं। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। अभी प्राथमिक स्टेज पर सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों से उनके अभिमत लिए जा रहे हैं। जिसमें सबसे बड़ी यह बात सामने आई है कि इस मार्ग में बीते दो साल में कोई भी बड़ी सड़क दुर्घटना नहीं हुई। इस मार्ग में ब्लैक स्पॉट भी नहीं हैं और ना ही दुर्घटना संभावित क्षेत्र में यह मार्ग चिन्हित है। बावजूद इसके यहां करोड़ों की लागत से ब्रिज बनाने की पहल शुरू कर दी गई है। लोगों का मानना है कि इस पर पुर्नविचार जरूरी है।
लाल चौकी पर है जरूरत
शहर के लोगों का कहना है कि लाल चौकी का रेलवे ट्रैक चालू होने पर यहां यातायात का दबाव बढ़ जाएगा। शहर के दो बड़े हिस्सों को जोड़ने वाले इस मार्ग पर फ्लाई ओवर बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है। यही रास्ता एयरपोर्ट को जोड़ता है। जहां वीवीआइपी के आगमन से पहले रेलवे गेट बंद होने और खुलने का इंतजार सुरक्षा अमला करता है। ऐसे में यहां ओवर ब्रिज की जरूरत अधिक बताई जा रही है।
तब पड़ती है ब्रिज की जरूरत
ट्रैफिक इंजीनियरिंग के जानकार बताते हैं कि किसी भी मार्ग में सबसे पहले हाथ से यातायात कंटोल किया जाता है। इसके बाद ट्रैफिक सिग्नल की जरूरत होती है। तब भी बात नहीं बने तो सर्कल रोटरी बनाई जाती है। सर्कल रोटरी से भी अगर यातायात कंट्रोल नहीं होता है तब सड़क का लोड जांचने के बाद ओवर ब्रिज प्रस्तावित होता है। लेकिन यहां इन सभी बातों का ध्यान नहीं दिया गया।
रेलवे फंसा सकता है पेंच
इस मार्ग को जूनी इंदौर लाइन कहा जाता है। बताते हैं कि पहले यहां रेलवे की लाइन और इसी मार्ग पर रेल फाटक हुआ करता था। अब भी रेलवे इस जमीन पर अपना दावा जरूरत के मुताबिक कर सकता है। तौल कांटे से दादाजी चौक तक यह मार्ग फोरलेन है, जबकि इस पर सकरा ब्रिज बनाया जाएगा। जो बोटलनेक होगा और इसी कारण भविष्य मतें यहां यातायात की समस्या बढ़ जाएगी।
बस को देनी होगी सर्विस लाइन
इस मार्ग पर ब्रिज बनाने से इंदौर रोड का बस स्टैंड सबसे अधिक प्रभावित होगा। बसों के लिए ब्रिज के नीचे सर्विस लाइन देनी होगी औश्र इसके बाद भी बसें यू टर्न लेकर ही ब्रिज पर जा सकेंगी। यातायात के जानकार बताते हैं कि इस मार्ग पर यातायात सामान्य रहता है, जिससे यहां कभी जाम के हालात नहीं बनते। दादाजी मंदिर मार्ग के आगे की ओर आबादी कम होने से यहां यातायात दबाव कम रहता है।
एक्सपर्ट व्यू
इंदौर नाके से तौल कांटे के बीच में गौशाला के पास ब्रिज का निर्माण ही अनावश्यक है। यह आसपास के रहवासियों के लिए एक बहुत ही कष्टदायक योजना है। इससे लोगों के आवागमन में तकलीफ होगी। यह तकनीकी दृष्टि से पैसे का दुरुपयोग है। जब शहर के बाहर से बायपास रिंग रोड का निर्माण प्रस्तावित है, तब इस मार्ग पर किसी भी स्थिति में यातायात का दबाव नहीं रहेगा। अगर इस ब्रिज के निर्माण का निर्णय लेते हैं तो यह आर्थिक अपराध की श्रेणी में आएगा, क्योंकि यह अनावश्यक रूप से एक गलत निर्णय जनहित के विरुद्ध होगा और इस निर्माण से रहने वाले पुल के दोनों तरफ जिन लोगों के रहवास है, संपत्ति है वह कोई काम की नहीं रहेगी। वहां पर जो लोग व्यवसाय करते हैं, वह समाप्त होकर बेरोजगारी बढ़ेगी। इसलिए इस निर्णय को लिया गया है तो तत्काल विलोपित करना चाहिए। केवल और केवल रिंग रोड बाईपास पर प्रशासन को, जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। यदि पुल के नीचे से किसी ऊंचे वाहन को निकलना होगा तो कठिनाई होगी और यदि पुल की ऊंचाई बढ़ाएंगे तो दोनों तरफ वह बहुत लंबाई तक खत्म होगा।
– शांतनु दीक्षित, तकनीकी मामलों के जानकार
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