२०१२ से नहीं हुआ रेत ठेका
जिले में सत्र २०१२ में अंतिम बार रेत की नीलामी १५ लाख रुपए में हुई थी, इसके बाद २०१३ की नीलामी का स्थानीय ठेकेदारों ने यह कहते हुए विरोध कर दिया नीलामी की जगह इसका टेंडर निकाला जाए। इस विवाद को देखते हुए उस साल जिले की कोई खदान नीलाम नहीं हुई। इसके बाद जिले की सभी रेत खदानों को शासन ने माइनिंग कॉरपोरेशन को सौंप दी। माइनिंग कॉरपोरेशन में जाने के बाद जब ई-नीलामी हुई, तो रेट इतने अधिक हो गए कि किसी ने उसमें टेंडर नहीं डाला।
इन क्षेत्रों में हो रहा अवैध खनन
शहर के सबसे नजदीक बोरगांव क्षेत्र में सुक्ता नदी के किनारे, नर्मदा नदी के किनारे वाले इलाकों जैसे ओंकारेश्वर, पुनासा, नर्मदा नगर, मूंदी, हरसूद, खालवा, चारखेड़ा क्षेत्र के अलावा बड़ी आबना नदी, छोटी आबना नदी, अमलपुरा, भामगढ़ क्ष्ेत्र और नागूचन क्षेत्र में खनन का कार्य हो रहा है। इसकी जानकारी खनिज विभाग से लेकर पुलिस और राजस्व के अधिकारियों को भी है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की जाती है। जब उनके पास किसी की शिकायत आती है तो एक दो-गाड़ी पकड़ लेते हैं। जिले का रेत कारोबार करीब एक से सवा करोड़ का है। एेसे में स्थानीय कारोबारी रेत नहीं दे पाते हैं तो लोगों को हरदा, होशंगाबाद के अलावा अन्य जिलों से रेत खरीदनी पड़ती है। जिले में रेत की नीलामी हो जाए तो सरकार को राजस्व मिलने के अलावा अवैध खनन पर नियंत्रण हो सकेगा। रेत सस्ते दर पर उपलब्ध हो जाएगी।
ये आदेश हुए हैं जारी
जिले में हो रहे अवैध खनन पर नियंत्रण करने के लिए खनिज विभाग के अलावा, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग और परिवहन विभाग को भी आदेश दिए गए हैं। साथ ही इन विभागों को मिलाकर भी एक सतर्कता समिति बनाई गई है, ताकि सभी विभाग लिकर, खनन पवर लगाम लगा सकें। यही नहीं नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में सीएम ने भी खनन न करने की घोषणा की, लेकिन आज भी रेत खनन का कार्य जारी है।
यहां हो रहा भंडारण
रेत कारोबार करने वालों ने शहर के जिमखाना मैदान के बगल में डीपो की जमीन पर कब्जा कर लिया है। दूसरा दूधतलाई के पास भी रेत का भंडारण किया गया है, जबकि किसी के पास रेत भंडारण करने की कोई अनुमति नहीं है। प्रतिदिन देर रात या सुबह के रेत का खनन होता है और गाडि़यां अक्सर रात में या सुबह पास होती हैं। उस समय कोई ट्रैफिक भी नहीं होता है एेसे में ये ट्रैक्टर या ट्रक आसानी से निकल जाते हैं।
ऐसा है कारोबार
२०१२ के बाद नहीं हुई खदानों की नीलामी
१५० ट्राली रेत की प्रतिदिन होती है खपत
०१ करोड़ रुपए का प्रतिवर्ष नुकसान
०५ प्रमुख नदियों में होता है खनन