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खंडवा

ट्रकों के चक्के थमे, सब्जी-दूध के परिवहन पर प्रभाव

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी चक्काजाम, खंडवा से 500 और देशभर से 95 लाख ट्रकों के पहिए थमने का दावा।

खंडवाJul 21, 2018 / 01:08 pm

अमित जायसवाल

truck strike

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खंडवा. छह सूत्रीय मांगों को लेकर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के बैनर तले 20 जुलाई शुक्रवार से राष्ट्रव्यापी चक्काजाम आंदोलन शुरू हो गया है। इसमें खंडवा से 500 और देशभर से 95 लाख ट्रकों के पहिए थमने का दावा किया गया है। सब्जी-दूध सहित अन्य दैनिक उपयोग की सेवाओं पर असर पडऩे लगा है।
यहां प्रांतीय अध्यक्ष विजय कालरा, सचिव कपिल शर्मा, प्रवीण अग्रवाल, राहुल पारीक, महेश गोस्वामी, राजीव रतन, दीपक पाटनी ने यहां ट्रांसपोट्र्स से चर्चा भी की थी। खंडवा के ट्रांसपोट्र्स ने भी समर्थन किया है। खंडवा गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष अरुण कुमार जैन, ट्रक ट्रांसपोर्ट ऑनर्स एसोसिएशन अध्यक्ष मो. रफीक उर्फ रफ्फा सेठ, पप्पू भाटिया, विनोद गंगराड़े, सुशील जैन, पूनम खंडेलवाल, हिरेंद्र जैन सहित अन्य ने कहा कि हम समर्थन में है। इस आंदोलन का लेकर ये कहा जा रहा है कि सरकार की दमनकारी और परिवहन क्षेत्र को बर्बादी की कगार पर खड़ा करने वाली नीतियों के विरोध में ये कदम उठाया गया है। परिवहन व्यवसाय पहले ही वित्तीय घाटे की गहरी गर्त में जा चुका है। हमेशा बढ़ती परिचालन लागत, असामान्य रूप से भाड़ा भुगतान में देरी और ऑपरेटरों को उच्च दरों पर उठाई गई कार्यशील पूंजी पर उच्च ब्याज लागत के कारण, मुनाफा न के बराबर है। परिचालन में लागत भाड़े से ज्यादा हो गई है, जिस कारण इस ट्रांसपोर्ट समुदाय में तीव्र असंतोष, उदासीनता, निराशा और नाराजगी है। 20 करोड़ लोग सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से सडक़ परिवहन क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। सरकार की परिवहन नीतियां जमीन की वास्तविकताओं से जुड़ी नहीं है। इन नीतियों से परिवहन क्षेत्र पर बुरा असर पड़ रहा है। इन्हीं मुद्दों को लेकर चक्काजाम का आह्वान किया गया है।
यह है मांगें…
– डीजल की कीमतें कम होनी चाहिए, राष्ट्रीय स्तर पर समान मूल्य निर्धारित और डीजल कीमतों में त्रेमासिक संशोधन।
– टोल बैरियर मुक्त भारत।
– तृतीय पक्ष बीमा प्रीमियम (टीपीपी) निर्धारण में पारदर्शिता, इस पर जीएसटी की छूट और कॉम्प्रेसिव पॉलिसी के माध्यम से एजेंटों को भुगतान किए जा रहे अतिरिक्त कमीशन को समाप्त करना।
– ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर टीडीएस समाप्त हो, आयकर अधिनियम की धारा 44 एई में अनुमानित आय में कमी और उसको तर्कसंगत किया जाए। इ-वे बिल से जुड़ी व्यवहारिक समस्याओं को देखते हुए नियमों में संशोधन किया जाए।
– बसों और पर्यटन वाहनों के लिए नेशनल परमिट
– डायरेक्ट पोर्ट डिलिवरी (डीपीडी) योजना समाप्त हो, पोर्ट कंजेशन खत्म होना चाहिए।
चक्काजाम को लेकर ये दावा
– शांतिपूर्ण ढंग से दर्ज कराएंगे विरोध, शटर बंद हड़ताल करेंगे
– माल की आवाजाही बंद होगी, मंडियों से नहीं उठेगा सामान
– मजदूरों के रोजगार पर असर पड़ेगा, उनके लिए लंगर का प्रबंध करेंगे
– लोडिंग-अनलोडिंग का काम ठप पड़ेगा, लोगों पर पड़ेगा प्रभाव

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