खंडवा

world tourism day 2022: यहां भी दिखता है गोवा जैसा नजारा, एडवेंचर टूरिज्म के लिए खास है यहां के टापू

world tourism day 2022: हनुवंतिया और सैलानी टापू के बाद अब नए टापुओं पर भी बढ़ेगा पर्यटन…।

खंडवाSep 26, 2022 / 04:37 pm

Manish Gite

मनीष अरोरा की रिपोर्ट

विश्व के पर्यटन नक्शे पर मप्र तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। ओरछा, सांची, खजुराहो, मांडू, पचमड़ी के साथ ही खंडवा जिले का हनुवंतिया और सैलानी टापू पर्यटकों की पसंद बन चुके है। अब खंडवा जिले के इंदिरा सागर बांध की डूब के बैक वॉटर से बने नए टापुओं को भी विश्व पर्यटन नक्शे पर लाने की तैयारी वन विभाग द्वारा की जा चुकी है। मांधाता तहसील में आने वाले धारीकोटला, बंजारी और बोरियामाल टापू पर पर्यटन विकास शुरू हो चुका है। निजी पर्यटन इवेंट कंपनियों से भी वन विभाग संपर्क कर रहा है। आने वाले एक साल में इन टापुओं की भी एक अलग पहचान सामने आएगी। प्राकृतिक संपदा, नैसर्गिक नजारों से भरपूर इन टापुओं पर नाइट जंगल सफारी की भी तैयारी हो चुकी है।

 

 

ये टापुओं पर दिखती हैं हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता

हनुवंतिया पर्यटन स्थल के पास ही गुंजारी, बोरियामाल और धारीकोटला चारों ओर पानी से घिरे हुए टापू हैं। यहां तक पहुंचने के लिए मोटरबोट का सहारा लेना पड़ता है। हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता के चलते यहां पर्यटन की बेहतर संभावनाएं वन विभाग ने तलाशी हैं। इन टापुओं का प्रस्ताव बन चुका है। अगले एक साल में यहां निजी कंपनी द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में विकास किया जाएगा। जिसके बाद आने वाले समय में ये प्रदेश की पहचान बनेंगे। वन विभाग इन टापुओं के विकसित होने के बाद चारखेड़ा के आसपास भी पर्यटन क्षेत्र विकसित करेगा।

 

 

एडवेंचर गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हनुवंतिया टापू

हनुवंतिया पर्यटन स्थल अपनी एडवेंचर गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हो चुका है। यहां जल, थल और हवा में रोमांचक गतिविधियां आयोजित की जाती है। जलीय गतिविधियों के लिए स्पीड बोट, जैट सी (वॉटर स्कूटर), बनाना राइड्स, स्लीपिंग बोट, बंपर राइड्स, जलपरी का आनंद लिया जा सकता है। हवाई गतिविधियों में पैरासेलिंग मोटर्स, हॉट एअर बैलून यहां मौजूद है। इसके साथ ही बैलगाड़ी, ऊंट सवारी, घुड़सवारी का मजा भी पर्यटक उठाते हैं। यहां का जल महोत्सव भी देशभर में मशहूर है। सालभर में 50 हजार पर्यटक यहां आते हैँ।

 

कुनो में चीतों के बाद ओंकारेश्वर को बाघों का इंतजार

श्योपुर के कुनो रिजर्व फारेस्ट में नामिबिया से 8 चीतों का आगमन हो चुका है। जिले का ओंकारेश्वर टाइगर रिजर्व को अब भी बाघों का इंतजार है। ओंकारेश्वर टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट की परिकल्पना इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध की डूब में आए जंगलों के पुनर्वास को लेकर हुई थी। जिले में धार्मिक पर्यटन के रूप में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। एंडवेंचर एक्टिविटीस के लिए हनुवंतिया टापू प्रसिद्ध हो चुका है। ऐसे में ओंकारेश्वर नेशनल पार्क बनने से जंगल सफारी भी पूरी हो जाएगी। ये पर्यटकों के लिए एक संपूर्ण पैकेज के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके साथ ही यहां से महेश्वर, मंडलेश्वर, बावनगजा (बड़वानी) और मांडू (धार) भी एक ही रूट पर होने से पर्यटन पथ भी बन सकता है।

 

दो जिलों में 625 वर्ग किमी जंगल प्रस्तावित

ओंकारेश्वर नेशनल पार्क के लिए खंडवा जिले में 450 वर्ग किमी और देवास जिले में 225 वर्ग किमी जंगल प्रस्तावित है। सबसे अच्छी बात ये है कि ओंकारेश्वर नेशनल पार्क की जद में कोई भी गांव नहीं आ रहा है।

बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगाह

ओंकारेश्वर नेशनल पार्क बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगाह भी साबित हो सकता है। यहां एक ओर इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर बांध के बैक वाटर की सुरक्षा, दूसरी ओर ऊंची-ऊंची पहाड़ियां इसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाती है।

 

बाधों के हिसाब से करेंगे वातावरण तैयार

नेशनल पार्क के लिए मार्किंग हो चुकी है, सिर्फ नोटिफिकेशन बाकी है। ओंकारेश्वर नेशनल पार्क में बाघों के लिए उनके हिसाब से वातावरण तैयार किया जाएगा। अन्य नेशनल पार्क से यहां बाघों को लाया जाएगा। ओंकारेश्वर पार्क बाघों के लिए सुरक्षित पनाहगाह होगा।

-सुधाशु शेखर, डीएफओ, खंडवा

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