श्रमिक की मौत पर बरपा हंगामा, मशाल रैली निकाल किया प्रदर्शन
एबी रोड स्थित सेंचुरी यार्न का मामला, नबआं नेत्री मेधा पाटकर भी पहुंची
After the workers’ rush, the police took over the morcha
कसरावद (खरगोन)
मुबंई-आगरा राजमार्ग स्थित मगरखेडी की सेंचुरी यार्न कंपनी के श्रमिक की आत्महत्या के बाद पुलिस व श्रमिकों में तीखी नोक-झोक हो गई। आक्रोशित श्रमिकों को रोकने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पडा। जानकारी के अनुसार श्रमिक जितेंद्र पिता सीताराम धनगर (25) ने मंगलवार शाम 4 बजे अपने मगरखेडी स्थित घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बुधवार सुबह ९ बजे ठीकरी अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंपा गया। यहां से परिजन और श्रमिक शव को कंपनी के गेट ले जाने की बात पर अड़ गए। यहां पुलिस अफसर श्रमिकों को शव मृतक के घर ले जाने की समझाईश देते रहे। ठीकरी पोस्टमार्टम रुम के बाहर सैकड़ों श्रमिक और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर भी मौके पर पहुंची। पुलिस द्वारा शव को कंपनी नहीं ले जाने देने पर पाटकर व पुलिस अफसरों के बीच तीखी बहस हुई। यहां पुलिस ने मेनेजमेंट को मृत श्रमिक के घर पर बुलाने का झूठा आश्वासन दिया। इसका श्रमिक और पाटकर ने कड़ा विरोध किया। यहां हंगामा बढऩे के बाद पुलिस ने श्रमिकों को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल भी प्रयोग किया। इस दौरान बड़वाह एसडीओपी मानसिंह ठाकुर, कसरावद तहसीलदार सतीश वर्मा, बलकवाडा थाना प्रभारी दुबे भी मौके पर पहुंचे। पुलिस बल की मौजूदगी में मगरखेड़ी से अंतिम यात्रा निकाली गई। शव का खलघाट स्थित मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया गया।
कंपनी गेट पर मौन रखा, रात में निकाली मशाल रैली
आक्रोशित श्रमिकों ने अंतिम संस्कार के बाद कंपनी के गेट पर प्रदर्शन किया। यहां पाटकर के नेतृत्व में श्रमिकों ने मौन रखकर श्रृद्धांजलि दी। इसके बाद रात करीब नौ बजे कसरावद के विजय स्तंभ पर हाथों में मशाल लेकर प्रदर्शन किया। यहां मृतक को श्रृद्धांजलि देकर कंपनी प्रबंधन और पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए। श्रमिकों ने खलटांका चौकी प्रभारी को निलंबित करने की मांग की। इस दौरान विजय स्तंंभ पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। श्रमिकों ने विजय स्तंभ से छोटे नाके तक रैली निकाल प्रदर्शन किया।
आर्थिक संकट के कारण लगाई फांसी
श्रमिकों ने कहा कि संचुरी यार्न प्रबंधन ने कंपनी का सौदा वेरिट ग्लोबल कंपनी को कर दिया है। विरोध में सेंचुरी श्रमिक पिछले 5 माह से हडताल कर रहे है। कंपनी गेट पर धरना देकर बैठे है। हडताल के कारण श्रमिकों के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे है। इसी के चलते श्रमिक साथी जितेंद्र धनगर ने मौत को गले लगा लिया। मृतक के दो बच्चें है। कंपनी प्रबंधन उन्हें मुआवजा दे और श्रमिकों की मांगों का जल्द निराकरण करें, ताक िभविष्य में ऐसी घटना न हो।
पाटकर बोली – यह श्रमिक की हत्या हैं
नर्मदा बचाओं आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर ने कहा कि यह आत्महत्या नही श्रमिक की हत्या है। मृतक के परिवार को इंसाफ मिलना चाहिए। एक अन्य श्रमिक की पत्नी कुसुम भट्ट ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया। श्रमिक की पत्नी शीतल दुबे ने चौकी प्रभारी दिनेश कुशवाह पर महिलाओं को घर जाने और आपत्तिजनक शब्द कहने का आरोप लगाया।
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