उल्लेखनीय है कि दो साल पहले किसानों को उनकी उपज के सही दाम देने के उद्देश्य से शिवराज सरकार ने भावांतर भुगतान योजना शुरु की थी। प्रथम वर्ष में जिले में गत वर्ष 23999 किसानों ने अपनी उपज भावांतर योजना में बेची थी। जिन्हें 19 करोड़ 69 लख 25 हजार 669 रुपए का भुगतान किया गया था।वहीं चालू वर्ष में 20 अक्टूबर 2018 से 19 जनवरी 2019 के बीच 50 हजार 370 पंजीकृत किसानों ने 1272969 क्विंटल उपज बेची हैं। जिन्हें भुगतान के लिए 63 करोड़ रुपए की देने की जरुरत होगी। योजना के बंद होने से किसानों को इस राशि से हाथ धोना पड़ सकता है।इससे किसान नाराज हो सकते हैं और कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में उसकी कीमत चुकाना पड़ सकती है। चर्चा यह भी है कि मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कृषि मंत्री को फोन कर पूछा है कि उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया हैं।
गृह जिले में ही निशाने पर यादव
सोमवार को सचिन यादव ने भोपाल में मीडिया के सामने दिए बयान में भावांतर भुगतान योजना को बंद करने की बात कही थी। इस बयान पर पलटवार करते हुए पूर्वमुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने योजना बंद होने पर सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की बात कही थी। यादव अपने बयान से जिले में किसानों सहित भाजपा नेता भी नाराज हैं और अब इस बात को लेकर राजनीति भी गरमाने लगी हैं।
सोमवार को सचिन यादव ने भोपाल में मीडिया के सामने दिए बयान में भावांतर भुगतान योजना को बंद करने की बात कही थी। इस बयान पर पलटवार करते हुए पूर्वमुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने योजना बंद होने पर सड़क पर उतरकर आंदोलन करने की बात कही थी। यादव अपने बयान से जिले में किसानों सहित भाजपा नेता भी नाराज हैं और अब इस बात को लेकर राजनीति भी गरमाने लगी हैं।
पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल भुगतान
चालू वर्ष में सरकार ने 500 रुपए फ्लेटरेट के भाव से उपज मंडियों में खरीदने का भरोसा दिया था।इसके लिए हजारों की संख्या में किसानों ने पंजीयन कराया था।वहीं उपज भी बेची।मंडी से मिली जानकारी के अनुसार जिले की कुल 7 मंडियों में 18 हजार 540 किसानों द्वारा 3,36,545 क्विंटल सोयाबीन और 31 हजार 830 किसानों द्वारा 936,424 क्विंटल मक्का बेची हैं।
चालू वर्ष में सरकार ने 500 रुपए फ्लेटरेट के भाव से उपज मंडियों में खरीदने का भरोसा दिया था।इसके लिए हजारों की संख्या में किसानों ने पंजीयन कराया था।वहीं उपज भी बेची।मंडी से मिली जानकारी के अनुसार जिले की कुल 7 मंडियों में 18 हजार 540 किसानों द्वारा 3,36,545 क्विंटल सोयाबीन और 31 हजार 830 किसानों द्वारा 936,424 क्विंटल मक्का बेची हैं।
राज्य सरकार के द्वारा योजना बंद करने की बात कही जा रही है।जिससे किसानों में अनिश्चितता का वातावरण हैं। आर्थिक नुकसान होगा।सरकार इसी नीति पर काम करती हैं, तो लोकसभा चुनाव में उसकी कीमत चुकाना पड़ेगी।
श्याम पंवार, अध्यक्ष भाकिसं
श्याम पंवार, अध्यक्ष भाकिसं
पिछली सरकार ने भावांतर भुगतान योजना में किसानों को १९ करोड़ रुपए का भुगतान जिले में किया था।कांग्रेस भ्रम फैलाकर किसानों को गुमराह कर रही हैं।किसानों को पैसा नहीं मिला, तो हम उसका कड़ा विरोध करेंगे।
परसराम चौहान, जिलाध्यक्ष भाजपा
परसराम चौहान, जिलाध्यक्ष भाजपा