scriptकोरोना के चलते पंचक्रोशी यात्रा पर रोक से श्रद्धालुओं में निराशा | Disappointment devotees due to halt on Panchkroshi Yatra to Corona | Patrika News
खरगोन

कोरोना के चलते पंचक्रोशी यात्रा पर रोक से श्रद्धालुओं में निराशा

देवउठनी एकादशी पर ओंकारेश्वर से निकलती है यात्रा1984 में इंदिरा गांधी के निधन पर प्रशासन ने पंचक्रोशी परिक्रमा पर लगाई थी रोक, 26 साल बाद कोरोना बना आस्था की राह में रोड़ा

खरगोनNov 20, 2020 / 03:05 pm

tarunendra chauhan

 Panchkroshi Yatra

Panchkroshi Yatra

खरगोन. भारत स्काउट गाइड उज्जैन के दल से सन् 1976 में प्रेरणा लेकर तीर्थनगरी ओंकारेश्वर से करीब 50 किमी की नर्मदा पंचक्रोशी यात्रा का आगाज हुआ। 44 सालों के इतिहास वाली इस आस्था यात्रा पर 45 वें साल कोरोना का साया है। महामारी के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए प्रशासन ने इस बार यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया है।

प्रारंभिक पंचक्रोशी यात्रा के सदस्य रहे सनावद के अनिल दुबे ने बताया इसके पूर्व करीब 26 साल पहले 1984 में भी इंदिरा गांधी के निधन पर देश के माहौल को देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर रोक लगाई थी, लेकिन तब भी आस्था के आगे निर्णय बौना साबित हुआ। कम ही सही लेकिन यात्रियों ने नर्मदा की यह लघु परिक्रमा तब भी की थी।

ओंकारेश्वर से निकलने वाली इस आस्था यात्रा में पांच पड़ाव हैं। यात्री तीर्थनगरी से नर्मदा स्नान कर सिर पर सामान की गठरी लेकर पैदल निकलते हैं और पहला रात्रि विश्राम (पड़ाव) सनावद में होता है। इसके बाद दूसरे दिन नर्मदा तट स्थित टोकसर में दूसरा पड़ाव है। यहां तीसरे दिन नाव से नर्मदा पार होकर यात्री तीसरे पड़ाव बड़वाह में रुकते हैं। चौथा पड़ाव जैन तीर्थ सिद्धवरकुट क्षेत्र में है और यात्रा का पांचवां व अंतिम पड़ाव ओंकारेश्वर में होता है। यह यात्रा 1976 में शुरू हुइ तब गिनती के यात्री में शामिल हुए। समय के साथ आस्था बढ़ी और यात्रियों का सैलाब भी। जनपद पंचायत बड़वाह से मिली जानकारी के अनुसार बीते वर्ष इस यात्रा में करीब 50 हजार श्रद्धालु शामिल हुए। यात्रा की अगवानी में ग्रामीण पलक पावड़े बिछाकर इंतजार करते हैं। जहां यात्रा रुकती हैं उन गांवों में हर घर यात्रियों के रहने-ठहरने के लिए खुला कर दिया जाता है।

नर्मदेहर के जयकारों से गंूजता है 50 किमी का पथ
आस्था और धर्म की बयार में हिलौरे लेती यह यात्रा आगे बढ़ती है। पूरा पथ पांच दिनों तक नर्मदेदर के जयकारों से गंूजता है। यात्री भोजन-प्रसादी का सामान साथ लेकर चलते हैं। जहां रात्रि विश्राम होता है वहां दाल-बांटी, हलवा प्रसादी बनती हैं।

यात्रा की रोक से श्रद्धालुओं में मायूसी
कोरोना के चलते यात्रा पर प्रशासन ने रोक लगाई है। यह निर्णय श्रद्धालुओं के लिए मायूसी लेकर आया है। हर साल यात्रा करने वाले सिमरोली के तुकाराम पांचाल, खंडवा के बसंत यादव, बड़वानी के मयाराम पाटीदार, लिक्खी के संतोष पाटीदार आदि ने बताया नर्मदाजी के प्रति आस्था को लेकर यह यात्रा अनवरत करते आए हैं। इस बार कोरोना की वजह से यात्रा स्थगित करने की सूचना मिली है। उनका कहना है माताजी की प्रेरणा मिली तो यात्रा अकेले ही करेंगे। इस यात्रा की व्यवस्थाएं 600 कर्मचारियों के जिम्में होती है। इसमें जगह-जगह अस्थाई अस्पताल, शौचालय, पानी का बंदोबस्त किया जाता है।

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