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खरगोन

किसान को मिला राष्ट्रीय सम्मान, डिजीटल लेन-देन से पाया मुकाम

आत्मनिर्भर…छोटे से गांव माकडख़ेड़ा के किसान ने किया जिले का नाम रोशनदुग्ध बेचने के बदले भवानीराम वर्मा लेते हैं डिजीटल पेमेंट, दूसरे किसानों के लिए बने रोल मॉडल आंणद गुजरात में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने दिया अवॉर्ड
 

खरगोनNov 30, 2020 / 06:17 pm

tarunendra chauhan

Farmer got national honor

Farmer got national honor

खरगोन. कसरावद तहसील में नर्मदा किनारे का छोटा सा गांव माकडख़ेड़ा। यहां के भुवानीराम वर्मा लघु कृषक के रूप में अन्य किसानों की तरह खेती करते हैं। लेकिन उन्होंने अपने कार्य से पूरे प्रदेश में अलग मुकाम हासिल किया है। वर्मा ऐसे किसान है, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया के मूलमंत्र को सार्थक किया है। 20 सालों से दूध व्यवसाय में जुटे भुवानीराम दूध बेचने के बदले मिलने वाली नकद राशि को सीधे न लेते हुए बैंक के माध्यम डिजीटल लेन-देन करते हैं। इससे उन्हें गुजरात के आंणद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा राष्ट्रीय किसान सम्मान से नवाजा गया। बोर्ड ने 5100 रुपए और प्रमाण-पत्र दिया है। यह सम्मान डिजिटल अवॉर्ड के वर्चुअल कार्यक्रम के तहत दिया गया। सहकारी दुग्ध संघ के क्षेत्रीय प्रबंधक आलोक पांडेय ने बताया कि पूरे देश के 30 किसानों को पुरस्कृत किया गया। जिसमें मप्र के दो किसान है, उसमें से एक किसान जिले की कसरावद तहसील ग्राम माकडख़ेड़ा का है। जिले के लिए गौरव का विषय है कि देश दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। इसमें जिले का भी बड़ा योगदान है। दुग्ध क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित हुए राष्ट्रीय कार्यक्रम में भुवानीराम वर्मा को सम्मानित किया गया है। भुवानीराम वर्मा 10 वीं तक पढ़े-लिखे हैं और वह अन्य किसानों के लिए भी रोल मॉडल बने है।

किसान के पास वर्तमान में दूध देने वाली चार भैंस हैं और वह अपना कारोबार बढ़ाने चाहते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि उन्हें बैंक से लोन नहीं मिल पा रहा है। लगातार चक्कर लगा रहे हैं। यह बात उन्होंने सांची दुग्ध संघ के अधिकारियों को भी बताई है। जिस पर लोन का भरोसा मिला है।

25 लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन कर रहे
भुवानीराम वर्मा रोजाना गांव से दूध लेकर मंडलेश्वर बेचने जाते हैं। पहले फेरी लगाकर वह दूध घर-दुकानों पर देते थे। लेकिन फिर सहकारी डेयरी मंडलेश्वर के सदस्य बने। गांव में 2. 25 बीघा जमीन से अपनी रोजी.रोटी चलाने वाले किसान ने दुग्ध व्यवसाय को भी अपनाया है। भुवानीराम प्रतिदिन 25 लीटर दूध का उत्पादन भले ही करते हो, लेकिन जब से भारत शासन ने डिजिटल लेन-देन शुरू किया। तब से वे निरंतर इसको बढ़ावा देते रहे है और डेयरी से तो डिजिटल भुगतान होता ही है। दुग्ध सेंटर दुधी द्वारा उन्हें पिछले 36 किश्तों का भुगतान डिजीटल किया। किसान का कहना है कि नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री ने डिजीटल पेमेंट की बात जनता से कही थी। इसके बात का भुवानीराम पर ऐसा असर हुआ कि वह पिछले तीन सालों से अपने छोटे-बड़े कामों के लिए डिजीटल ही लेन-देन करते हैं।

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