खाद की बढ़ी हुई कीमतों से किसानों पर आफत, एक बोरी पर 700 रुपए देना होगा ज्यादा
भाकिसं प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन, खरीफ सीजन में अनुदान पर बीज उपलब्ध कराने की मांग
एसडीएम को ज्ञापन देते किसान।
खरगोन.
कोरोना संक्रमण में लागू लॉक डाउन के कारण किसानों पर चोतरफा मार पड़ रही है। ऊपर से खाद की बढ़ी हुई कीमतों ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने डीएपी खाद पर 58 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इससे प्रति बोरी खाद अब 1200 की जगह 1900 रुपए में मिलेगा। एक बोरी पर 700 रुपए अतिरिक्त किसानों को देना होगा। जिसे लेकर किसानों में आक्रोश देखा जा रहा है। सोमवार को भाकिसं के प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टोरेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम सत्येंद्रसिंह चौहान को सौंपा। ज्ञापन में मांग कि सरकार ने खाद की कीमतों में बेतहाश वृद्धि की है, जो उचित नहीं है। बढ़ी हुई कीमतें सरकार वापस लें, ताकि राहत मिल सके। इसी तरह सोयाबीन बीज की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए परिवहन पर रोक लगाने की मांग की। प्रदेश के किसानों को बीज आपूर्ति के बाद ही परिवहन किया जाए। पूर्व में छोटे व गरीब किसानों को अनुदान पर खरीफ सीजन में बीज उपलब्ध होता था। जिसे पिछले साल बंद कर दिया। किसानों ने उक्त योजना को फिर से शुरु कर प्रत्येक तहसील में बीज पहुंचाने की मांग की। इस दौरान भाकिसं के जिला महामंत्री सदाशिव पाटीदार, पूर्व जिलाध्यक्ष सीताराम पाटीदार सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।
सांसद ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
खरगोन-बड़वानी सांसद गजेंद्रसिंह पटेल ने भी डीएपी खाद की बढ़ी हुई कीमत को वापस लेने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने किसानों के हित में कीमतों को कम करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें सांसद ने लिखा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र व राज्य सरकार दोनों प्रतिबद्ध हैं। केंद्र व राज्य सरकार किसानों को कई योजनाओं से लाभांवित कर रही है। वर्तमान में कोविड-19 की वैश्विक महामारी में भी केंद्र व राज्य सरकार किसानों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपए उनके खातों में जमा कर रही है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कृषि कार्य में आना वाला डीएपी खाद के मूल्य में 58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। इस मूल्य वृद्धि से फसल की लागत पर भी असर पड़ेगा और किसानों को इस लागत से और अधिक खर्च होगा। वहीं कोरोना महामारी व लॉकडाउन के कारण किसानों ने दो वर्ष से अपनी उपज का सही दाम नहीं मिला है। किसानों के हित में उक्त निर्णय वापस लिय जाए, ताकि किसानों को वैश्विक महामारी काल में राहत मिल सके।
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