मंडी निरीक्षक रामचंद्र भास्करे ने बताया पहले दिन मंडी खोलने का समय शाम 4 बजे का निर्धारित किया गया। शाम ५.३० बजे तक करीब २०० किसान पहुंचे, लेकिन उपज लेकर कोई नहीं आया। सभी ने आकर व्यापारियों से पहले भाव पूछे। इसके बाद तीन किसान उपज लेकर आए। सबसे पहली उपज खेड़ीखानपुरा के मोहन मांगीलाल की पहुंची। व्यापारी मोहम्मद शाहनवाज ने खरीदी। २१०० रुपए प्रति क्विंटल भाव मिला। भाव जानने के बाद जमा किसान एक-एक कर रवाना होने लगे।
हरी मिर्ची के भाव खुले तो किसान भी हैरान रह गए। यहां मिर्ची के दाम अधिकतम २१०० रुपए देखकर किसानों ने कहा- यह दाम तो व्यापारी खेत पर जाकर भी दे रहा है। ऐसे में गांव से मंडी तक उपज लाना भारी पड़ेगा। उधर, व्यापारियों का कहना है जैसी उपज वैसे भाव खुले हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदेश में संभवत: खरगोन जिला पहला ऐसा क्षेत्र हैं जहां कपास के साथ मिर्ची की बंपर पैदावार होती है। यहां करीब ७५ हजार हेक्टेयर में किसानों ने मिर्ची लगाई है। फिलहाल ढाई से तीन क्विंटल हरी मिर्ची की तुड़ाई रोज की जा रही है।
मिर्ची उत्पादक किसान राजपुरा के जगदीश पाटीदार, देवला के महेश यादव व बरसलाय के रविंद्र यादव ने बताया अबकि बार मिर्ची पर वायरस नहीं है। अनुकुल तापमान के चलते पौधा स्वस्थ्य है। उत्पादन भी मिलने लगा है। हरी मिर्ची की तुड़ाई जरूरी है, लेकिन दाम बेहद कम मिल रहे हैं। इसके बाद भी तुड़ाई चालू हैं।
अभी व्यापारी सीधे खेतों से उपज खरीद रहा है। बड़ी समस्या यह है कि किसानों को भाव पता नहीं चलता। ताबड़तोड़ रेट खुलते हैं और तुड़ाई के बाद उपज बेचना किसान की मजबूरी है। दिनभर तुड़ाई के बाद रात 10 बजे व्यापारी भाव बताते हैं। गिनती के व्यापारी खेत पर आकर खरीदारी कर रहे हैं। मिर्च को ज्यादा समय तक रख पाना मुश्किल हो रहा है।
किसान अर्पित यादव ने बताया 20 ग्राम मिर्च बीज पर 10 हजार रुपए खर्च हुए हैं। तीसरे दिन १५०० से 2000 की खाद व कीटनाशक दे रहे हैं। तुड़ाई के दाम ६ रुपए किलो है। इतना खर्च होने के बाद दाम औंधे मुंह गिरे हैं। एक पखवाड़े पूर्व हरी मिर्ची ३३ से ३४ रुपए किलो बिक रही थी यहीं भाव चार दिन पहले १५ से १७ रुपए किलो पर आ गए।
मंडी निरीक्षक रामचंद्र भास्करे ने बताया यहां रोजाना शाम 6 से रात आठ बजे तक हरी मिर्ची की खरीदारी की जाएगी। इसके अलावा सुबह बलवाड़ी मंडी में नियमित सब्जियों की खरीद-बिक्री होती रहेगी।