यह है अंगराग
मंदिर के प्रबंध संचालक प. पंकज मेहता ने बताया कि अंगराग की प्रक्रिया में विग्रहों पर बने आंख, मुंह इत्यादि की आकृति को प्राकृतिक रंगों में सदृश्य बनाने के लिए कलाकार विभिन्न रंगों से चित्रकारी करते है, जिससे विग्रह सजीव हो उठते हैं। उक्त प्रक्रिया में कम से कम 5-7 दिनों का समय लगता है।
श्री जूना राम मंदिर लगभग 300 वर्ष पूर्व निर्मित किया गया है, जो प्राचीन मठ आकृति में निर्मित है। तत्कालीन समय में यह क्षेत्र होलकर राज्य का हिस्सा हुआ करता था। इसलिए तत्कालीन समय के सभी मंदिरों एवं प्रतिमाओं में पेशवाई झलक दिखाई देती है। श्रीराम एवं लक्ष्मण की प्रतिमाओं में मुकुट के स्थान पर पेशवाई पगड़ी दिखाई देती है। प्रतिमाओं में उल्टे हाथ में धनुष एवं सीधे हाथ मे पेशवाई दंड होलकर कालीन संस्कृति की अनुपम छटा का दर्शन प्रस्तुत करती है। माता सीता की प्रतिमा में भी राजस्थानी झलक साफ दिखाई देती है। राजस्थानी क्षत्राणियों द्वारा लगाए जाने वाले मांग टीका की झलक प्रतिमा में साफ दिखती है। तकरीबन डेढ़ फीट ऊंची संगमरमर की प्रतिमाओं के साथ श्रीराम दरबार की छटा बड़ी मनोहारी दिखाई देती है।
150 वर्षों से मेहता परिवार कर रहा है मंदिर का संचालन
प. मेहता ने आगे बताया कि गत 150 वर्षों से उनका परिवार मंदिर का रामानंदी परंपरानुसार सफल संचालन कर रहा है। नगर के प्राचीन मठों में से एक श्री जूना राम मंदिर का पुनर्निर्माण जनसहयोग के से हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में अष्टकोणीय गुम्बद का निर्माण किया गया है, जो रामानंदी परंपरा की अनुपम संस्कृति का प्रतीक है। मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर का गुम्बद दूर से दिखाई नहीं देता है, क्योंकि मंदिर को रामानंदी मठ का स्वरूप दिया गया है। अंग्रेजो के शासनकाल के दौरान मंदिर शासन के अधीन हुआ था तभी से मेहता परिवार मंदिर का संचालन कर रहा है।
चार दिवसीय होगा प्राणप्रतिष्ठा समारोह
23 से 26 फरवरी तक भगवान के विग्रह का प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव चलेगा। उक्त आयोजन में 23 को भगवान के विग्रह को भगवा ध्वज के नेतृत्व में बग्घी में विराजित कर कलशयात्रा निकाली जाएगी। शबरी मिलन एवं केवट समाज द्वारा भगवान के चरण पखारना शोभायात्रा का आकर्षण रहेगा। शाम को प्राची पटवारी एवं प्राजक्ता मोड़क भक्ति संगीत की प्रस्तुति देंगे। 24 फरवरी से दो दिवसीय राम यज्ञ की शुरुआत होगी। साथ ही भगवान के विग्रहों का अधिवास करवाया जाएगा। शाम को विष्णु सहस्रनाम के पाठ के पश्चात एक शाम राम के नाम का आयोजन होगा। 25 फरवरी को राम यज्ञ का समापन होगा। साथ ही भगवान के विग्रहों का शयन अधिवास करवाया जाएगा। शाम को काव्य गोष्ठी का आयोजन होगा। 26 को सुबह संतो के सानिध्य में भगवान के विग्रहों की प्राणप्रतिष्ठा की जाएगी। 11 बजे विग्रहों के महाशृंगार के बाद महाआरती की जाएगी। तत्पश्चात भंडारे का आयोजन होगा। 26 को प्राणप्रतिष्ठा के उपरांत शाम को फागोत्सव का आयोजन किया जाएगा।