अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप भाकिसं जिला मंत्री मुकेश पटेल ने बताया कि पिछले दिनों चिरागपुरा और लालखेड़ा में किसानों द्वारा महाराष्ट्र की निजी कंपनी के कर्मचारियों को बगैर बिल के किसानों को मिर्च बीज देते हुए पकड़ा था। जिसकी शिकायत पर उद्यानिकी अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा बनाया। साथ ही बीज को जब्त कर सेंपल जांच के लिए भेजे थे। उधर, कार्रवाई के दौरान कंपनी के कर्मचारी जरुरी दस्तावेज पेश नहीं कर पाए थे। इसलिए उद्यानिकी अधिकारी एसडीओ सहित अन्य कर्मचारी भीकनगांव थाने पर एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे थे। जहां कंपनी कर्मचारियों ने कागज पेश करने के लिए दो दिन का समय मांगा था। उधर, रविवार को कार्रवाई में नया मोड़ आया। कंपनी की ओर से विभाग को दस्तावेज सौंपे गए है। जिसमें बीज बेचने के लिए केंद्र सरकार के पत्र का हवाला दिया गया है। जिसके आधार पर विभाग ने भी कंपनी को क्लीनचिट दे दी। किसानों का आरोप है कि इस मामले में विभागीय मिलीभगत से अधिकारी कार्रवाई से पीछे हट रहे हैं।
एसडीओ की सफाई-लिखित में शिकायत नहीं उद्यानिकी विभाग के एसडीओ पर्वतसिंह बडोले का कहना है कि रविवार को कंपनी द्वारा केंद्र सरकार का एक पत्र दिया गया है। जिसमें कंपनी अनुराधा सीड्स को बीज विक्रय करने का अधिकार है। जिसमें लिखा गया कि कंपनी का जिले में कोई डीलर अथवा डिस्ट्रीब्यूटर नहीं है। प्रचार-प्रसार के लिए खुद सेल्समेन फकीरा केशव मोरे किसानों से संपर्क किया और उन्हें डेमो बीज देकर खेत में रोपने की बात कही। एसडीओ ने कंपनी के दस्तावेज वैध है। चूंकि हमारे पास किसी भी किसान की तरफ से लिखित में धोखाधड़ी की शिकायत नहीं है। सारी शिकायत मौखिक थीं। इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं करा सकते।
13 को सूचना पत्र में धोखाधड़ी की बात
पूरे घटनाक्रम में 13 मई तक बीज कंपनी की ओर से वैध दस्तावेज नहीं पेश किए गए थे। जिसके आधार पर अधिकारी थाने पर प्राथमिक दर्ज कराने पहुंचे थे। जिसमें एक आवदेन विभाग द्वारा पुलिस को दिया गया था। जिसमें बगैर लाइसेंस के कारोबार करने पर किसानों के साथ छल-कपट (धोखाधड़ी) और बीज अधिनियमि की धाराओं के उल्लंघन का जिक्र किया गया था। सेल्स मैनेजर डेमो की बीज नि:शुल्क किसानों को देने की बात पत्र में लिख है। जबकि कार्रवाई के समय उन्होंने किसानों को राशि वापस लौटाने की बात कही थी। ऐसे में पूरे मामले को संदेह के नजर से देखा जा रहा है।