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खरगोन

किसानों को नहीं मिली नीलामी बंद की सूचना, उपज लेकर पहुंचे मंडी

-निर्यात पर रोक के विरोध में व्यापारियों ने नीलामी बंद का दिया है आवेदन, मजबूरी में हुई खरीदारी, प्रति क्विंटल 60 से 70 रुपए टूटे गेहंू के भाव, कई किसान उपज लेकर लौटे

खरगोनMay 18, 2022 / 04:17 pm

Gopal Joshi

n protest against the ban on export

खरगोन. नीलामी बंद की सूचना किसानों को नहीं मिली, मंडी पहुंचे तो व्यापारियों ने खरीदी उपज।

खरगोन.
निर्यात नीति में अचानक हुए बदलाव के चलते अनाज मंडी में किसानों सहित व्यारियों को फजीयत झेलनी पड़ी। निर्यात पर रोक के विरोध में मंडी व्यापारी संघ ने प्रबंधन को 17 व 18 मई दो दिन सांकेतिक हड़ताल करते हुए नीलामी बंद रखने का आवेदन सौंपा। इसकी सूचना किसानों तक नहीं पहुंच पाई और किसान वाहनों में उपज लेकर मंडी पहुंच गए। किसानों की समस्या को देखते हुए व्यापारियों ने खरीदारी की। मंगलवार को गेहंू पर प्रति क्विंटल 60 से 70 रुपए भाव टूटे। कम दाम मिलने की वजह से कई किसान उपज वापस ले गए। मंगलवार को अघोषित नीलामी में गेहंू 2090 से लेकर 2325 रुपए क्विंटल तक बिका है।
मंडी व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष राकेश कुमार जैन ने बताया खरगोन के व्यापारी सीधे तौर पर उपज को एक्सपोर्ट नहीं करते। उनके पास लाइसेंस नहीं है। ऐसे में एक्सपोर्टर के जरिए ही उपज बाहर तक जाती है। फिलहाल जिले का करीब 40 हजार क्विंटल गेहंू बंदरगाहों पर फंसा जरूर है, लेकिन इसमें ज् यादा रिस्क एक्सपोर्टर की है। यदि वाहन खाली नहीं होते और उपज वापस आती है तो स्थानीय व्यापारी को रिर्टन भाड़ा जरूर लगेगा।
सूचना के अभाव में पहुंचे 200 किसान
मंडी नीलामी बंद होने की सूचना किसानों तक नहीं पहुंची। लिहाजा मंगलवार को लगभग 200 किसान वाहनों से उपज लेकर मंडी पहुंच गए। ग्राम कुकडोल के लोभीराम यादव, पिपलझोपा के मंगल मंगतिया, रसवा के मोहन वर्मा आदि ने बताया कि निर्यात पर रोक के कारण मंडी बंद रहेगी इसकी जानकारी नहीं थी। उपज लेकर आए तो यहां 2100 रुपए दाम मिले। जबकि चार दिन पहले तक उपज 2400 रुपए तक बिक रही थी। प्रति क्विंटल 250 से 300 का नुकसान होता लिहाजा उपज नहीं बेची। अब दाम बेहतर होने के बाद लाएंगे। किसानों ने कहा- गांव से मंडी तक 1000 रुपए वाहन भाड़ा लगा था। रिर्टन भाड़ा 500 रुपए दिया है। यह खर्च बड़ा है।
प्रति क्विंटल 600 से 700 रुपए होगा नुकसान
व्यापारियों के मुताबिक गुजरात के पोर्ट तक एक क्विंटल उपज पहुंचाने के पीछे 250 रुपए भाड़ा लगता है। यदि वाहन खाली नहीं होते और उपज वापस लानी पड़ी तो इतना ही खर्च फिर होगा। इसके अलावा मंडी टैक्स और गिरते भाव की भरपाई भी व्यापारी को करनी होगी। कुल मिलाकर निर्यात रुकने से प्रति क्विंटल 600 से 700 रुपए नुकसान होने की आशंका है।
ऊंचे दाम पर खरीदा गेहंू किया स्टॉक
अबकि बार जिले में गेहंू का रकबा कम है। इसके चलते उपज भी कम ही रही है। ऐसे में किसानों को गेहंू के दाम इस बार 2500 रुपए क्विंटल तक मिले हैं। मंदी-वृद्धि के गणित में इस बार व्यापारी भी कच्चा खा गए हैं। उन्होंने ऊंचे दाम पर उपज खरीदी है लेकिन निर्यात रुकने से अब खरीदी उपज को खपाना भारी पड़ेगा। हालांकि व्यापारियों कह रहे हैं कि स्टॉक ज्यादा नहीं है। जो माल खरीकर रखा है इतना स्टॉक में रहता है।
समर्थन मूल्य से अब भी ज्यादा दाम मंडी में
मंगलवार को उपज लेकर मंडी पहुंचे किसान लोभीराम यादव ने बताया निर्यात पर रोक का असर खास नहीं होगा। मंगलवार को बंद के बावजूद किसानों की समस्या को देखते हुए व्यापारियों ने उपज खरीदी। दाम समर्थन मूल्य (2015) से अधिक ही मिले हैं। जब समस्या के बावजूद यदि मंडी में भाव 2100 या इससे अधिक मिल रहे हैं तो किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने क्यों जाएगा। वहां स्लॉट बुकिंग के साथ लेन-देन की कई झंझट है, यहां उपज बेचकर तत्काल नकद राशि मिल रही है।

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