सांसद ने मंत्रियों को बताया खरगोन जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है। आजादी के 70 साल बाद भी इस लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने अपने क्षेत्र में ट्रेन नहीं देखी। सरकार ने रेल प्रोजेक्ट को हरी झंडी तो दे दी, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। सांसद ने बताया खरगोन जिला कपास और मिर्च व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। यहां का व्यापार यदि रेल लाइन से जुड़ जाता है तो आदिवासी बाहुल्य यह जिला विकास के नए आयाम छु सकेगा। उन्होंने परियोजना को लेकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया इंदौर-महाराष्ट्र को जोडऩे और ट्रांसपोर्ट के लिहाज से सबसे ज्यादा जरूरी रेलवे प्रोजेक्ट इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन का काम शुरू होने से पहले ही बंद हो गया है। जून 2018 में इस प्रोजेक्ट को लेकर जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह, महाराष्ट्र सरकार, मप्र सरकार और जहाजरानी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बीच एमओयू साइन हुआ। 62 किमी की इस परियोजना को पूरा करने के लिए जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह की ओर से 55 फीसदी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की ओर से 15-15 फीसदी, जहाजरानी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से 15 फीसदी राशि दी जाना है, लेकिन एमओयू के बाद से आज तक इस प्रोजेक्ट पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
रेलवे एंड पोर्ट कॉर्पोरेशन ने दिया यह जवाब
इस संबंध में समिति के पूछे जाने पर रेलवे एंड पोर्ट कॉर्पोरेशन ने अपने जवाब में कहा है कि एमओयू के बाद अभी तक रेलवे की ओर से सक्षम अधिकारी ने किसी प्रकार से डीपीआर तैयार नहीं की है। इसलिए परियोजना को लेकर आगे की कोई कार्रवाई नहीं कर सकते।
मार्च 19 में पीएम कर चुके हैं भूमिपूजन
मार्च 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परियोजना का भूमिपूजन भी कर चुके हैं। लेकिन तब से आज तक इक इंच भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है। इस प्रोजेक्ट को चार चरण मनमाड़ से धुलिया, धुलिया से सेंधवा और सेंधवा से खलघाट तक बनाया जाएगा। 2011 में जब प्रोजेक्ट बना था, तब 1750 करोड़ रुपए लागत थी जो कि अब बढ़कर 10 हजार करोड़ हो गई है।