मोदी की देश में आखिरी सभा ने बढ़ा दिया जीत का अंतर
पांच माह में टूट गया भरोसा
राहुल गंगवार देश मेेें चला मोदी फैक्टर खरगोन-बड़वानी में भी काम कर गया। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गजेन्द्र पटेल ने कांग्रेस के डॉ. गजेन्द्र मुजाल्दा को 202110 लाख मतों से करारी हार दे दी। पांच माह पहले विधानसभा चुनाव-2018 में जिस कांग्रेस पर जनता ने भरोसा कर 10 में से आठ सीटें जिताकर भाजपा को एक सिरे नकार दिया था। उसी जनता ने लोकसभा में परिणाम उलट दिया। विधानसभा में क्लीन स्वीप के बाद भाजपा के लिए लोकसभा जीतना चुनौती से भरा था। 2009 लोकसभा चुनाव से लगातार नए चेहरे पर दांव लगाकर जीत हासिल करने वाली ाभाजपा ने इस बार भी नए चेहरे पर ही दांव खेला। पिछली बार मोदी लहर में सांसद सुभाष पटेल ने 2.57 लाख मतों से जीत हासिल की थी। क्षेत्र में निष्क्रियता और कोई नई सौगात न दे पाना उनके लिए भारी पड़ा और टिकट उनका कट गया। भाजपा ने 2013 में भगवानपुरा से विधानसभा चुनाव और बड़वानी नगर पालिका का चुनाव हारने वाले आदिवासी गजेन्द्र पटेल को मैदान में उतारा। आदिवासी और किसान बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस ने भी भाजपा की तरह आदिवासी प्रत्याशी पर दांव खेला। विधानसभा चुनाव में भगवानपुरा से टिकट मांगने वाले पेशे से डॉक्टर गोविन्द मुजाल्दा को ना करने वाली कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में मुजाल्दे को टिकट देकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। गोविंद मुजाल्दा कभी राजनीति में सक्रिय नहीं रहे, सिर्फ आदिवासियों पर मजबूत पकड़ के बूते पर उन्हें टिकट देकर कांग्रेस ने भरोसा जताया। विधानसभा चुनाव में जीत के आधार पर कांग्रेस ने लोकसभा का तानाबाना बुना था। इसलिए यहां तीन विधायकों को केबिनेट में स्थान दिया। लेकिन इन मंत्रियों की मौजूदगी कम ही दिखी दी। कृषि मंत्री सचिन यादव अपने भाई अरुण यादव के लिए ज्यादा सक्रिय दिखे। इस असर ये हुआ ग्रामीण इलाकों में प्रत्याशी मुजाल्दा ने अकेले ही कमान संभाली। खरगोन में स्टार प्रचारक राहुुल गांधी की सभा कर यहां माहौल बनाने की कोशिश की। राहुल ने हर साल 72,000 रुपए खाते में डालने का वादा और किसानों की कर्जमाफ करने की बात दोहराई, लेकिन ये आदिवासी और किसान को प्रभावित नहीं कर सकी। कांग्रेस के किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा लेकर भाजपा पूरी तैयारी से मैदान थी। शिवराज सिंह चौहान ने खरगोन-बड़वानी के ग्रामीण इलाकों में दिन-रात सभा और जनसंपर्क कर भाजपा का माहौल बनाया। अंतिम चरण के मतदान से पहले खरगोन में नरेन्द्र मोदी ने आखिरी सभा कर सारे समीकरण ही बदल दिए थे। खरगोन-बड़वानी से जिस अदांज से पंडाल में भीड़ पहुंची उसने खरगोन का भविष्य तभी तय कर दिया। लोगों का कहना था कि स्थानीय सांसद नहीं, वोट तो सिर्फ मोदी को है। जो परिणाम आए उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2019 का मोदी फैक्टर 2014 की जगजाहिर मोदी लहर से भी आगे निकल गया।