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खरगोन

बच्चे संस्कारों को जाने इसके लिए स्कूल में बुलाया उनके मम्मी पापा को, किया मातृ-पितृ पूजन

सरस्वती विद्या मंदिर में 180 बच्चों के माता-पिता पहुंचे, बच्चो से कराई उनकी पूजा

खरगोनFeb 15, 2020 / 08:48 pm

rohit bhawsar

बच्चे संस्कारों को जाने इसके लिए स्कूल में बुलाया उनके मम्मी पापा को, किया मातृ-पितृ पूजन

अपने माता-पिता का पूजन करते बच्चे।

खरगोन बीटीआई रोड स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में शुक्रवार को संस्कारों की पाठशाला लगी। स्कूल में बच्चों के साथ उनके माता-पिता भी पहुंचे। यहां हॉल में सभी को बैठाया गया। बच्चों के हाथ में पूजा की थाल लेकर अपने माता-पिता का पूजन कराया गया। बच्चों ने मम्मी पापा को तिलक किया, उनकी आरती उतारी। वंदन कर आशीर्वाद लिया। यह कार्यक्रम स्कूल में आयोजित मातृ-पितृ पूजन के तहत हुआ। कार्यक्रम में करीब 180 से अधिक बच्चों ने सामूहिक रूप से अपने-माता-पिता का पूजन किया। पूजन के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी गई। मंच पर अपने बच्चों द्वारा दी जा रही प्रस्तुतियों पर पालक भावविभोर हो उठे। विद्यार्थियों द्वारा हस्तलिखित पत्रिका मेरी दादी और सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का विमोचन किया गया। जिसमें सुंदर कहानियां, भावनात्मक चित्र आदि प्रकाशित किए गए हैं। संचालन लीला महाजन ने किया। इस दौरान शिक्षक संजय कानूनगो, विजया सिंघल, रेखा भार्गव, चेतना राठौड़ सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, पालक एवं स्कूल स्टॉफ मौजूद था।
बच्चों में सम्मान का भाव बढ़े इसलिए ऐसे कार्यक्रम जरूरी
मुख्य अतिथि एसआई अनिल जाधव ने कहा- सरस्वती विद्या मंदिर आदर्श विद्यालय है। सभी स्कूलों में मातृ-पितृ पूजा होनी चाहिए, ताकि बच्चों में बड़ों के प्रति सम्मान का भाव बढ़े। उन्होंने कहा नैतिक शिक्षा का समावेश आने वाले पाठ्यक्रमों में किया जाएगा।
14 फरवरी को मनाएंगे मातृ-पितृ, गुरु-भक्ति दिवस
विद्यालय प्रधानाचार्य प्रकाशचंद्र जोशी ने कहा पिछले कुछ वर्षों से पाश्चात्य संस्कृति के हावी होने से युवाओं के नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, लेकिन हमारी कोशिश है कि इस दिन मातृ-पित, गुरु भक्ति दिवस मनाया जाए ताकि उनमें नैतिक मूल्यों का विस्तार हो। प्राचार्य गोपालचंद्र मांगरोले ने कहा इस आयोजन को शुरू किए जाने के पीछे कारण यह है कि हम युवाओं को बताना चाहते हैं कि वेलेंटाइन डे हमारी संस्कृति में नहीं आता। इसका प्रचार-प्रसार युवाओं को भटकाव के रास्ते पर ले जा रहा है, वास्तव में इसका जुड़ाव तो प्रेम से होना चाहिए और प्रेम, स्नेह माता, पिता, गुरु से बढ़कर और कौन ले दे सकता है।
परिवार से हो संस्कारों की शुरुआत
बाल कल्याण समिति उपाध्यक्ष गिरीश उपाध्याय ने कहा बढ़ते पाश्चात्य चलन के दौर में बच्चों को जन्म से ही संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है। संस्कारों के लिए बच्चों को जन्म से ही माता-पिता का पूजन, बड़ों का आदर करना जैसे संस्कार सिखाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा बच्चे परिवार के बड़े जैसा करते है उसका अनुसरण करते हैं। इसलिए परिवार का माहौल ऐसा बनाएं कि बच्चे का भविष्य उज्जवल हो। कार्यक्रम में प्राजेक्टर पर शिक्षक राजू कर्मा द्वारा स्कूल में संचालित की गई वर्षभर की गतिविधियों को प्रसारित किया गया।
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