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खरगोन

अब दुकानों पर नहीं मिलेगा यूरिया, सोसायटी से ही लेना पड़ेगा

व्यापारियों ने कहा- व्यापार और किसान हित में नहीं है यूरिया नीति में बदलाव

खरगोनSep 15, 2019 / 02:13 am

अजय पालीवाल

Society, Urea News Khargone

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खरगोन. प्रदेश सरकार यूरिया नीति में बदलाव कर निजी क्षेत्र के बजाय केवल सहकारिता क्षेत्र से किसानों को यूरिया बांटने के मूड में है। इस नई व्यवस्था के तहत तैयारियां भी चल रही हैं, लेकिन इस बदलाव से व्यापारी नाखुश है। उनका मानना है कि निजी क्षेत्र के बजाय सहकारिता क्षेत्र में यूरिया उपलब्ध कराने का निर्णय गलत है। इससे व्यापार तो चोपट होगा कि किसानों को भी यूरियों के लिए जूझना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि अब तक निजी व सहकारिता क्षेत्र से 50-50 प्रतिशत यूरिया उर्वरक बेचा जा रहा है। सरकार चाहती है कि 100 प्रतिशत यूरिया अब सोसायटियों के जरिए ही किसानों को बेचा जाए। सरकार की इस तैयारी का कृषि आदान विक्रेता संघ ने विरोध शुरू कर दिया है।
शनिवार को बिस्टान रोड स्थित निजी होटल में प्रेसवार्ता आयोजित कर व्यापारियों ने इसे व्यापार विरोधी निर्णय करार दिया। व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार पूर्व की भांति व्यवस्था नहीं रखती है तो उन्हें आंदोलन को बाध्य होना पड़ेगा। कृषि आदान विक्रेता संघ के संभागीय अध्यक्ष विनोद जैन, जिलाध्यक्ष नरेंद्र चावला ने बताया सरकार का यह निर्णय न तो व्यापार हित में है न ही किसान हित में है। इससे किसानों को नुकसान होगा। सहकारी सोसायटियों की मनमानी बढ़ेगी। किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध नहीं होगी। सबसे बड़ा सवाल इसमें डिफाल्टर किसान को यूरिया कैसे उपलब्ध होगी?
15 लाख परिवारों पर पड़ेगा असर

व्यापारी राजेंद्र पाटीदार, उत्तम पाटीदार ने बताया वे अब तक खाद, बीज के साथ यूरिया का निर्विवाद विक्रय करते आ रहे हैं। ऐसे में यूरिया की बिक्री निजी क्षेत्रों से रोकना जायज नहीं है। इससे प्रदेश के करीब 15 हजार व्यवसायियों का व्यवसाय बाधित होगा। इसका सीधा असर 15 लाख परिवारों पर पड़ेगा। यह स्थिति प्रदेश के लिए भयावह साबित होगी। सरकार को पूर्व की भांति 50-50 प्रतिशत निजी और सोसायटी के माध्यम से यूरिया का वितरण करना चाहिए। उन्होंने कहा व्यापारी लायसेंसधारी है। यदि सहकारिता क्षेत्र से यूरिया विक्रय कराना है तो हमें लायसेंस क्यों जारी किए हैं?
करेंगे आंदोलन
कृषि आदान विक्रेता संघ से जुड़े व्यापारियों ने चेतावनी देते हुए कहा यदि सरकार निर्णय वापस नहीं लेती है तो व्यापारी चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। दुकानें अनिश्चितकालीन तक बंद रखने के साथ ही धरना, प्रदर्शन जैसे आंदोलन भी किए जाएंगे।
यह होगी समस्या
व्यापारी संतोष गोयल ने बताया पूर्व उपमुख्मंत्री सुभाष यादव के समय में भी सहकारिता क्षेत्र से यूरिया वितरण का निर्णय लिया गया था। उस समय भी किसानों को यूरिया के लिए लंबी-लंबी कतारें लगाना पड़ी थी। कई बार कानून व्यवस्था बिगड़ी और लाठियां तक भांजनी पड़ी। इसके बाद सरकार को निर्णय वापस लेना पड़ा था। अब यही हालात फिर से करने की तैयारी की जा रही है।
व्यवहारिक परेशानियां
व्यापारियों ने बताया कि सोसायटियां समय अनुसार खुलेगी। सरकारी अवकाश पर आवश्यकता होने पर भी किसानों को यूरिया उपलब्ध नहीं होगा। जरूरत के समय निजी क्षेत्र में यूरिया उपलब्ध होने पर वह किसी भी समय पर अपनी सुविधा अनुसार यूरिया ले सकता है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में खरीफ व रबी सीजन में यूरिया खाद की खपत 1 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा है। इसमें खरीफ फसलों के लिए 60 हजार मीट्रिक टन व रबी के लिए 50 लाख मीट्रिक टन की खपत है।
नई नीति के मिले हैं निर्देश
शासन स्तर से हाल ही में नई यूरिया नीति के निर्देश मिले हैं। इसमें स्टेट लेवल कमेटी का यह निर्णय है कि अब यूरिया बांटने की पूरी जिम्मेदारी को-ऑपरेटिव सेक्टर को सौंपी है। पहले 50 प्रतिशत लाइसेंसी व्यापारी व 50 प्रतिशत सोसायटियों से यूरिया बेचा जाता था। ए
मएल चौहान, उप संचालक, कृषि विभाग
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