खरगोन सहित जिले की पांच निकायों में पूरा होने जा रहा परिषद का कार्यकाल, अब प्रशासक के हाथ में होगी कमान
छह दिसंबर को खत्म हो खरगोन नगर पालिका का कार्यकाल, इसी सप्ताह में सनावद, बड़वाह, करही और कसरावद में अध्यक्ष की कुर्सी हो रही खाली
खरगोन नगर पालिका जहां सोमवार को परिषद के कार्यकाल का आखिरी दिन है।
खरगोन नगर पालिका में अध्यक्ष सहित पार्षदों के पांच साल का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है।इसमें सोमवार का दिन खरगोन में नगर सरकार का आखिरी दिन होगा। 7 जनवरी 2015 को अध्यक्ष के रूप में विपिन गौर सहित 33 पार्षदों ने अपना पदभार ग्रहण किया था।इस हिसाब से यहां छह जनवरी को परिषद का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। जिले के बड़वाह, सनावद नगर पालिका और करही तथा कसरावद में भी परिषद का यह अंतिम सप्ताह चल रहा है। जहां अध्यक्ष की कुर्सी खाली होने के बाद कमान अब प्रशासक संभालेंगे। सनावद में 8 जनवरी, करही और कसरावद में 10 तथा बड़वाह नगर पालिका में 11 जनवरी को अध्यक्ष व पार्षदों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।उल्लेखनीय है कि जिले में तीन नगर पालिका सहित पांच नगरीय निकाय है।इनमें महेश्वर, मंडलेश्वर और भीकनगांव परिषद के चुनाव को अाी दो से ढाई साल ही हुए है।इसलिए यहां परिषद कार्य करती रहेगी।बाकी जगह परिषद का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है।
1914 में हुईथी स्थापना, 58 अध्यक्ष व 5 बार प्रशासक काबिज
नगर पालिका खरगोन की स्थापना ब्रिटिश काल के समय सन् 1914 मेंं हुईथीं।तब से लेकर अब तक 54 बार अध्यक्ष व 5 बार प्रशासक काबिज रहे।वर्तमान अध्यक्ष विपिन गौर के साथ भी एक संयोग जुड़ा है। 2007 में अध्यक्ष चुने गए थे।जिनके हटने के एक सितंबर 2103 से 7 जनवरी 2015 तक (डेढ़ साल) प्रशासक के रूप में तत्कालीन अपर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी काबिज रहे।इसी बार भी गौर ही अध्यक्ष है और उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद फिर से प्रशासक के हाथों में नपा की कमान होगी।
सवा लाख की आबादी, पानी को तरसी
पिछले चुनाव में सत्तापक्ष द्वारा कई चुनावी घोषणाएं की थीं, जो पांच साल बाद भी पूरी नहीं हुई। प्रमुख घोषणा में चौबीस घंटे पानी देने का वादा शामिल था।सवा लाख की आबादी तक यह पानी नहीं पहुंच पाया।हालांकि शहर में ११४ करोड़ की जलावर्धन योजना के तहत काम जारी है।लेकिन पर्याप्त पानी के लिए लोगों को अभी आगे इंतजार करना पड़ेगा।
पति के हटने के बाद पत्नी ने संभाला काम
सनावद नगर पालिका के पांच साल का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा।यहां 2015 में अध्यक्ष के रूप में नरेंद्र ऊर्फ लाली शर्मा चुने गएथे।सनावद के ही एक बिल्डर द्वारा दुकानों के निर्माण की स्वीकृति के बदले रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त को शिकायत की गईथी।लोकायुक्त ने लाली शर्मा को ट्रेस किया। जिसके चलते उन्हें कुर्सी से हाथ धोना पड़ा।8 अगस्त 2017 में हुए उपचुनाव में शर्मा के स्थान पर पत्नी मंजूला शर्मा चुनाव जीतकर अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुई।
जनता की अदालत में दो बार अग्नि परीक्षा
करही-पाड्ल्या परिषद में पहली बार हुए चुनाव में महिला के रूप में आशा प्रेम वांसुरे अध्यक्ष चुनी गईथी।लेकिन पूरे कार्यकाल में पार्षद उनके कार्य से असंतुष्ट नजर आए। इसलिए अध्यक्ष को एक नहीं दो बार अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा।दो साल पूर्वभाजपा और कांग्रेस के पार्षद मिलकर अध्यक्ष केे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए।जिसके बाद पुन: चुनाव हुए।खाली और भरी कुर्सी के लिए हुए चुनाव में (जनता की अदालत) आशा वांसुरे सफल हुई और चुनाव जीतकर फिर से कुर्सी प्राप्त की।10 जनवरी को उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है।चुनाव में फायर बिग्रेड, बस स्टैंड और सुलभ शौचालय निर्माण जैसे वादे पूरे नहीं हो पाए।
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