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खरगोन

मप्र का यह शख्स छह सालों से प्रदेशभर में कर रहा सफाई, बुढ़ापे के लिए रखी सेविंग कर दी खर्च

स्वच्छता का सिपाहीभोपाल के 65 वर्ष के बुजुर्ग ने जगाई स्वच्छता की अलख, शहर-घर घुमकर जुटाते हैं कचरा, देते हैं स्वच्छता का संदेश-एक्टिवा वाहन से शनिवार को खरगोन आए सैफुद्दीन, गली-मोहल्लों, बाजार में की सफाई, स्वच्छता स्लोगन के पहनावे ने सबका खींचा ध्यान-बुढ़ापे के लिए जुटाई तीन लाख रुपए की राशि सफाई पर कर दी खर्च, सप्ताह में चार दिन करते हैं काम, तीन दिन सफाई को देते हैं-मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली तक जा चुके हैं सफाई करने, ट्रेन की बोगियों में भी लगाते हैं झाडू

खरगोनJun 12, 2021 / 08:56 pm

Gopal Joshi

This person from MP has been doing cleanliness across the state for six years

खरगोन. राधावल्लभ मार्केट में सफाई करते सैफुद्दीन।

खरगोन.
स्वच्छता, सफाई को लेकर जागरूकता वाले कार्यक्रम हमने कई देखे हैं, लेकिन कहा जाए कि एक शख्स बीते छह सालों से अपनी गाढ़ी कमाई शहर-शहर घुमकर केवल सफाई पर ही खर्च करता है तो इससे बढ़ा स्वच्छता का सिपाही कोई हो नहीं सकता। भोपाल के ६५ सैफुद्दीन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। शनिवार को सैफुद्दीन अपनी एक्टिवा गाड़ी से खरगोन पहुंचे। यहां मुख्य बाजार सहित चौराहों, गली-मोहल्लों में सफाई की। लोगों को इसके लिए जागरूक किया।
सैफुद्दीन ने बताया इस तरह के अनोखे सफाई अभियान की शुरुआत उन्होंने २०१५ में की। सयैदना साहब से प्रभावित होकर उनकी सीख का अनुशरण करते हुए सैफुद्दीन ने परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद शहर-शहर जाकर सफाई अभियान शुरू किया। बीते छह सालों में वह अपने खर्च पर भोपाल सहित मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, इंदौर, उज्जैन शाजापुर सहित करीब १०० से अधिक शहरों में जा चुके हैं। कचरा संग्रहण के लिए उनके पास अलग-अलग कपड़े के डस्टबीन हैं। इसमें वह सूखा व गीला कचरा अलग-अलग जुटाते हैं। जहां कचरा ढोने वाले वाहन मिलते हैं उसमें खाली करते हैं। खरगोन में शनिवार को उन्होंने राधावल्लभ मार्केट, सीता वल्लभ मार्केट, जवाहर मार्ग, डायवर्शन रोड आदि क्षेत्रों में सफाई की। सैफुद्दीन का पहनावा भी ध्यान खींचने वाला है। कपड़ों व वाहन पर पर स्वच्छता के स्लोगन है।
चार दिन काम, तीन दिन सफाई
सैफुद्दीन ने बताया वह वॉल पेपर का काम करते हैं। एक बेटा, दो बेटियां है। तीनों की शादी हो चुकी है। सप्ताह में चार दिन काम करने के बाद तीन दिन सफाई को देते हैं। काम की शुरुआत में परिवार ने एतराज किया, लेकिन अब उन्हें कोई नहीं रोकता। उल्टा परिवार भी सहयोग करने लगा है।
बिजनस से जोड़े तीन लाख रुपए, सफाई पर किए खर्च
सैफुद्दीन ने बताया बुढ़ापे के सहारे को लेकर उन्होंने अपने काम से तीन लाख रुपए जुटाए थे, लेकिन जमा पूंजी इस अभियान में ही खर्च की। सैफुद्दीन कहते हैं, स्वच्छ भारत का संदेश गांधीजी ने पहले ही दिया था, लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यह समस्या अब बीमारी बनती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी ने इस ओर ध्यान दिया है, जल्दी ही इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।
सरकार से कोई सहायता नहीं
इस नेक काम में सैफुद्दीन को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। बीते दो साल कोरोना के चलते लॉकडाउन में चले गए। काम बंद रहा। ऐसे में उन्होंने एक-डेढ़ लाख रुपए कर्ज लेकर अभियान को जिंदा रखा। बेटे ने नौकरी से मिलने वाली पगार का कुछ हिस्सा भी उन्हें दिया।
हर माह दस हजार रुपए खर्च
सैफुद्दीन ने बताया इस काम में उन्हें प्रति माह करीब दस हजार रुपए का खर्च होता है। वे बड़े शहर जैसे मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली ट्रेन से जाते हैं। बोगियों में सफाई करते हैं। सैफुद्दीन ने बताया ट्रेन में २० से २५ बोरी कचरा निकलना सामान्य बात है। खरगोन की सफाई व्यवस्था को लेकर सैफुद्दीन कहते हैं कुछ इलाके बेहद साफ है, लेकिन कहीं गंदगी है। लोगों को जागरूकता दिखानी होगी।

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