केतु बढ़ा सकता है शारीरिक परेशानियां
डॉ. सोनी के अनुसार इस दिन की कुंडली में लग्न में केती ग्रह बैठा है। इससे यह योग बनते हैं कि सिर में चोंट व मुंह के रोग हो सकते हैं। संतान सुख नहीं मिलने के आसार है।
९ माह बाद हुई संतान तो वह भी रोगी होगी
डॉ. सोनी ने बताया १४ फरवरी के ठीक ९ माह बाद यानी १४ नवंबर को यदि इन रिश्तों के बाद संतान होती है तो वह भी रोगी होगी। क्योंकि १४ नवंबर की कुंडली में सूर्य और शुक्र लग्न में तीसरे स्थान में शनि, चौथे स्थान में चंद्रमा के साथ केतु, पांचवें स्थान पर मंगल, दसवें स्थान पर राहु है।
ज्योतिष डॉ. सोनी ने बताया १४ फरवरी का दिन प्यार करने के लिए नहीं धार्मिक कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। हमारे सनातन धर्म में विवाह के 8 प्रकार बताते हैं। ब्रह, विवाह, आर्य, देव, प्राजापत्य, असुर, गंधर्व, राक्ष्ण और पिशाच विवाह। नाद पुराण के अनुसार सबसे श्रेष्ठ प्रकार का विवाह ब्रह्म विवाह ही माना जाता है। इसमें वर-वधु माता-पिता के समक्ष उनके आशीर्वाद के साथ विवाह करते हैं।