अमित काकड़ा
मदनगंज-किशनगढ.अगर आप अपने क्षेत्र के बीट कॉस्टेबल का नाम और नंबर जानना चाहते है तो निराश होना पड़ेगा। पुलिस की वेबसाइट पर जिले के अधिकतर थानों के बीट कॉस्टेबल की डीटेल ही नहीं है। जबकि वर्तमान समय में जहां हर विभाग सभी तरह की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध करा रहे है। वहीं जिला पुलिस का इस पर ध्यान नहीं है। पुलिस भी तकनीक की मदद से कई वारदातों को खोल रही है।
जिले में 34 थाने हैं इनमें कुल 892 बीट है। इनमें से किशनगढ़ उपखण्ड के सात थाना क्षेत्र में 145 बीट आती है। लेकिन क्षेत्रवासियों को यदि ऑनलाइन बीट कॉस्टेबल की जानकारी लेनी हो तो उन्हें निराशा ही हाथ लगेगी। क्योंकि पुलिस की वेबसाइट पर अधिकांश थानों की बीट की जानकारी ही नहीं है। वेबसाइट पर करीब 39 बीट कॉस्टेबल की जानकारी उपलब्ध है। उनके फोन नंबर भी उपलब्ध रहते है। किशनगढ़ क्षेत्र के सौ से ज्यादा बीट के कॉस्टेबल की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध ही नहीं है। वह खाली पड़ी है।
-किशनगढ़ में यह है स्थिति
किशनगढ़ थाने में 27 में से 8, गांधीनगर में 28 में से 5, मदनगंज में 20 में से 9, अरांई में 16 में से 1, बोराड़ा में 10 में से 8, बांदरसिंदरी में 14 में से 4 में और रूपनगढ़ में 30 में से 4 बीट की जानकारी ऑनलाइन है।
-यह होती है बीट प्रणाली
पुलिस की ओर से हर थाने पर कुछ क्षेत्रों को मिलाकर बीट निर्धारित की जाती है। हर बीट के लिए कॉस्टेबल, हैड कॉस्टेबल को जिम्मेदारी दी जाती है। बीट प्रभारी को अपने क्षेत्र सक्रिय रहना होता है। वहां होने वाले अपराध और अन्य घटनाओं की जानकारी रखनी होती है। समन और वारंट तामील कराने में बीट कॉस्टेबल की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। क्षेत्र की अच्छी जानकारी होने के कारण वह घटना की सूचना पर जल्दी मौके पर पहुंच जाता है।
-पूरे जिले में यही हाल
ब्यावर सिटी में 41 बीट है इनमें से दो बीट के कॉस्टेबल की जानकारी ही ऑनलाइन उपलब्ध है। वहीं अजमेर के दरगाह थाने में 32 में से 11 और सिविल लाइन्स में 25 में से एक बीट के कॉस्टेबल की जानकारी वेबसाइट पर है।़
-सबसे ज्यादा बीट रामगंज थाने में है। यहां 44 बीट है। दूसरे नंबर पर क्लॉक टावर और तीसरे नंबर पर कोतवाली थाना है। यहां बीट की संख्या क्रमश: 43 और 42 है। वहीं सबसे कम बीट सराना थाने में है। यहां क्षेत्र चार बीट में विभक्त है।
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