हालांकि 27 नक्षत्रों में 4-5 पौधों को यहां का वातारण प्रतिकूल नहीं होने के कारण वह लग नहीं पाए हैं। यहां पर 12 राशियों के 12 पेड़, 9 ग्रह के 9 पेड़ और 27 नक्षत्र के पौधे लगे हुए हैं। यहां पर प्रतिदिन दूर-दराज से लोग पेड़ों की पूजा आदि करने आते हैं। पर्यावरणविद् देवेश कुमार शर्मा लगाने में सहयोग किया था।
यह है मान्यता ज्योतिष की मान्यता के अनुसार व्यक्ति का जिस नक्षत्र में जन्म होता है। उस नक्षत्र के पेड़ की पूजा करने या उसे सींचना उसके लिएशुभ होता है। इससे उसके जीवन में उत्कर्ष होता है। यह होते हैं नक्षत्र और इनके पौधे हिन्दू धर्म में ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार 27 नक्षत्र होते हैं। इसमें अश्विनी नक्षत्र का कूचला पौधा होता है।
इसी प्रकार भरणी का आंवला, कृतिका का गूलर, रोहिणी का जामुन, मृगशिरा का खेरी, आद्रां का कृष्ण गुरू, पुनर्वसु का कीकर, पुष्य का पीपल, आश्लेषा का नागचंपा, मघा वटवृक्ष, पूर्वा फाल्गुनी का अशोक, उतरा फालगुनी का शमी, हस्त का जूही, चित्रा का बिल्व, स्वाति का अर्जुन, विशाखा का नागकेसर, अनुराधा का नागकेसर, ज्येष्ठा का नीम, मूल का बेंत, पूर्वाषाढ़ का अर्क वृक्ष, उतराषाढ़ का कटहल, श्रवण का श्वेत वृक्ष, घनिष्ठा का नारियल, शतभिषा का आम, पूर्वाभाद्रपद का कदम, उतराभाद्रपद का मेहंदी एवं रेवती नक्षत्र का बैर पौदा होता है।
यह होती है राशियां हिन्दू धर्म में ज्योतिष के अनुसार 12 राशियां होती है। इसमें मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ व मीन राशि होती है। इसी प्रकार ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह होते हैं। इसमें सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू व केतु होते हैं।
इनका कहना है… नक्षत्र वन में 12 राशि के 27 नक्षत्र के पौधे लगाए है। नक्षत्र जनित रोग या व्याधि नक्षत्र के पौधे की पूजा करने से दूर हो जाती हैं। पहला नक्षत्र वन महाराष्ट्र में था, इसके बाद किशनगढ़ में नक्षत्र वन लगाया गया।
– जयकृष्ण देवाचार्य, काचरिया पीठाचार्य, किशनगढ़