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किशनगढ़

तलवार की म्यान को डिजाइन दे रहा किशनगढ़ का राजकुमार

पुश्तैनी काम को बना लिया आजीविका का साधनपहले पिता से सीखा और अब खुद के परिवार का कर रहा भरण पोषणतलवार की म्यान को डिजाइन दे रहा राजकुमार

किशनगढ़Nov 28, 2021 / 05:09 pm

kali charan

तलवार की म्यान को डिजाइन दे रहा किशनगढ़ का राजकुमार

तलवार की म्यान को डिजाइन दे रहा किशनगढ़ का राजकुमार

कालीचरण
मदनगंज-किशनगढ़ ञ्च पत्रिका.
यदि मजबूत इरादे हो और मन में सच्ची लग्न हो तो किसी भी छोटे काम से भी अपने परिवार का भरण पोषण किया जा सकता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया किशनगढ़ के पुराना शहर के युवक राजकुमार जीनगर ने। परिवार की कमजोर हालत को ध्यान में रखते हुए राजकुमार ने तलवार की म्यान बनाने और उसका सौंदर्यकरण करने के अपने खानदानी काम को ही अपना रोजगार बनाया। शुरुआत में तो पिता को काम करते करते सीखा और फिर पिता के मार्गदर्शन से कुछ सालों में ही यह तलवार की लकड़ी से म्यान बनाने और फिर उस का मखमल इत्यादि वर्क से सौंदर्यकरण करने का हुनर हासिल किया। अब वह इत्मिनान से अपना और परिवार का भरण पोषण कर खुशहाल जीवन यापन कर रहा है।
पुराना शहर सदर बाजार क्षेत्र निवासी राजकुमार जीनगर (48) ने बताया कि उनके दादाजी गोविंदराम जीनगर और पिताजी मदनलाल जीनगर तलवार की लकड़ी से म्यान बनाने और उसका सौंदर्यकरण करने का काम किया करते थे। यूं तो तलवार की म्यान बनाने और उसके सौंदर्यकरण का कार्य रजवाड़ी कार्य की श्रेणी में आता है।
पिताजी से ली तालिम
राजकुमार जीनगर ने बताया कि दादाजी ने पिताजी को यह काम सीखाया और फिर पिजाजी से उसने (राजकुमार) ने काम सीखा। उन्होंने बताया कि वर्ष 1990 में ही 10 वीं पास कर ली। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आगे पढऩे के बजाए पिताजी के साथ काम कर उनका सहयोग करना तय किया। इसके बाद उन्होंने शुरुआती दिनों में तो पिजाजी को काम करते देख धीरे धीरे काम की बारिकियों को समझने लगे और फिर पिताजी से ही यह काम सीखना शुरू कर दिया। करीब 5 साल में लकड़ी से म्यान बनाने और उसे आकर्षक बनाने के लिए वर्क करने का हुनर सीख लिया। कुछ समय तक पिताजी के साथ ही काम कर उनका सहयोग किया। लेकिन वर्ष 2000 में पिता मदनलाल जीनगर का देहांत हो गया और इसके बाद उन्होंने इस पुश्तैनी काम को पूरी तरह संभाल लिया। अब इस काम से ही अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है। इसके साथ वह सौपा बनाने और इसके कवर के साथ ही परदेें इत्यादि बनाने का काम भी करने लगे है।
पहले म्यान बनाते और फिर होता सौंदर्यकरण
पहले तो लकड़ी से तलवार के माप जोख के अनुरूप उसकी म्यान बनाई जाती है। फिर उस पर रेगजीन, चमड़ा या फिर मखमल से काम किया जाता है। इसके बाद उसे पर सितारें वगैरह भी लगा कर उसे आकर्षक बनाया जाता है।

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