मोक्ष अंहकार के त्याग से ही मिलता है
आर्यिका विज्ञाश्री ने दिए धर्मोपदेश
मोक्ष अंहकार के त्याग से ही मिलता है
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मदनगंज-किशनगढ़. आर्यिका विज्ञाश्री ने शुक्रवार को जैन भवन में धर्मोपदेश देते हुए कहा कि मनुष्य में अहंकार का भाव प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जो विनाश का कारण बन रहा है। अहंकार में व्यक्ति झुकता नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार लोहा नरम होकर शस्त्र एवं सोना नरम होकर आभूषण बनता है उसी प्रकार जब मनुष्य नरम होता है तो परमात्मा बनता है। जब व्यक्ति का पेट और अहंकार बड़ा होता है तो वह झुक नहीं पाता। कड़वी गोलियां चबाई नहीं, निगली जाती है। उसी प्रकार जीवन में अहंकार, अपमान, असफलता जैसी कड़वी बातों को सीधे निगलना पड़ेगा। यदि व्यक्ति कड़वी दवाओं को चबाते और कड़वी बातों को याद करते रहेंगे तो जीवन ही कड़वा हो जाएगा। फलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते हैं। सूखा पेड़ और अंहकारी व्यक्ति कभी नहीं झुकते। आर्यिका ने कहा कि जिसे अहंकार की हवा लग जावे फिर दवा और दुआ दोनों ही काम नहीं आते। जिस व्यक्ति का मन मेला होता है वह करोड़ों की भीड़ में भी अकेला ही महसूस करता है। मोक्ष अहंकार के त्याग से ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस बार मानसून और चातुर्मास के दौरान इतनी तेज धर्म की बारिश आए कि जिसमें अहंकार डूब जाए, मतभेद के किले गिर जाए, घमंड चूर-चूर हो जाए, गुस्से के पहाड़ पिघल जाए, नफरत हमेशा के लिए दफन हो जाए, हम सब में से हम हो जाए। इसी में जीवन की सफलता है। दोपहर में सामयिक, स्वाध्याय और शाम को आनंद यात्रा व आरती की गई।