पत्रिका न्यूज नेटवर्क मदनगंज-किशनगढ़. अजमेर जिले में प्राचीनतम और दुलर्भ शिवलिंग विद्यमान है। इनमें से किशनगढ़ में गुसाईजी की घाटी पर स्थित जागेश्वर महादेव प्रमुख है। पुष्कर में यज्ञ के दौरान ब्रह्माजी ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। पूर्व दिशा में होने के कारण इसे जागेश्वर महादेव कहा जाता है। यज्ञ के दौरान स्थापना होने के कारण इसे यज्ञेश्वर महादेव भी कहते है। काचरिया पीठाचार्य जयकृष्ण देवाचार्य के अनुसार पुष्कर में यज्ञ के दौरान ब्रह्माजी ने कई स्थानों पर शिवजी की स्थापना की थी। उनमें से एक यह भी है। पुष्कर के पूर्व में होने के कारण इसे जागेश्वर कहा जाता है। यह शिवलिंग अत्यंत दुलर्भ है। बाद में भक्तों ने यहां मंदिर बनाया। कैलाश गिरी के अनुसार शिवजी के जब जल चढ़ाया जाता है तो जल शिवलिंग में ही समा जाता है। यह जल कहां जाता है इसका किसी को पता नहीं। पहले यहां शिवलिंग था। बाद में भक्तों ने यहां विभिन्न मूतिर्यों की स्थापना की। उन्होंने बताया कि सावन में शिवजी का विशेष शृंगार कर आरती की जाती है। यहां नित्य दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते है। इस शिव मंदिर में साल भर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते रहते है। महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल और प्राचीन मंदिर होने के कारण भक्तों का आना जाना लगा रहता है। सोमवार को सहस्त्राभिषेक के भी आयोजन होते है जिसमे मंत्रोच्चार के साथ आयोजन होते है। यहां भगवान शिव की विशेष झांकी सजाई जाती है। इसके साथ ही शिवरात्रि पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होता है।
सुरक्षा का अभाव पौराणिक मंदिर होने के बाद भी यह मंदिर किसी तरह से संरक्षित नहीं है। इसके चलते मंदिर की सुरक्षा को खतरा है। हालांकि ऐसा ही मंदिर अजयपाल में है। जिसे पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। लेकिन इस मंदिर को संरक्षण को लेकर कुछ नहीं किया गया है।