केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की ओर से २१ राज्यों के १५३ जिलों को आर्सेनिक प्रभावित चिन्हित किया गया, जिसकी कुल आबादी करीब 24 करोड़ है। आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से मंत्रालय की ओर से बनाई गई राज्यवार सूची में उत्तर प्रदेश, असम और बिहार के बाद पश्चिम बंगाल चौथे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश के 70.1 प्रतिशत, असम के 65 प्रतिशत, बिहार के 60 प्रतिशत एवं पश्चिम बंगाल के 44 प्रतिशत लोग आर्सेनिक युक्त प्रदूषित पानी पीते हैं।
भू-जल दोहन से बढ़ रहा है आर्सेनिक स्तर भू-वैज्ञानिक के अनुसार कृषि एवं अन्य कार्यों के लिए अधिक मात्रा में भू-जल दोहन के कारण आर्सेनिक की मात्रा में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा कुछ कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के कारण भी ऐसा हो जाता है। यह भूजल अथवा सतही जल में घुल जाता है और हमारे पेयजल में आ जाता है।
बेहद हानिकारक है आर्सेनिक आर्सेनिक मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। आर्सेनिक की वजह से कई बीमारियां होती हैं जैसे त्वचा का फटना, केराटोइस और त्वचा का कैंसर, फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर और नाड़ी से सम्बन्धित रोग, मधुमेह, संतानोत्पत्ति से सम्बन्धित गड़बडिय़ां आदि। यह शरीर में उपलब्ध आवश्यक एंजाइम्स पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है और जिसकी वजह से शरीर के बहुत से अंग काम करना बंद कर देते हैं, अंत में इसकी वजह से रोगी की मौत हो जाती है।