सुन्दरवन इलाकों में प्लास्टिक कचरा बढऩे से वैज्ञानिक इलाके के सदाबहार मैग्रोव जंगल पर खतरा बढऩे के साथ ही समुद्री जल में प्रदूषण बढऩे का आशंका जता रहे हैं। इससे मैग्रोव पेड़ की श्वसन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ये सूक्ष्म प्लास्टिक की चपेट में हैं। इससे समुद्री जल और थल पर आक्सीजन की मात्रा कम होने का खतरा बढ़ेगा और इसका पौधों और जलीय जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मोलस्क जैसे अन्य जीवों में सूक्ष्म प्लास्टिक से विषाक्तता का उच्च जोखिम होता है। थर्माकोल प्लेटों से पॉलिमर जलीय जीवन के लिए एक और खतरा है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
तटबंधों की रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिंथेटिक थैलों का दो से तीन साल के भीतर क्षरण होकर माइक्रो प्लास्टिक का निर्माण हो रहा है, जो पानी के साथ मछलियों के पेट में चला जा रहा है। यह अन्य जीवों के पेट में पहुंचता होगा। इससे मैंग्रोव की श्वसन भी प्रभावित हो सकती है क्योंकि वे सूक्ष्म प्लास्टिक चपेट में हैं। यह जलीय जीवन और पौधों के लिए खतरा का संकेत है” – डॉ. पुनरबसु चौधुरी, पर्यावरण वैज्ञानिक, कलकत्ता विश्वविद्यालय