स्थानीय लोगों में रोष निर्माणाधीन सेतु के टूटने से स्थानीय लोगों में भारी रोष है। लोग सेतु निर्माण में इस्तेमाल किए जा रहे सामग्री, ठेकेदार व राज्य सरकार पर तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि कम गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री के इस्तेमाल के कारण सेतु टूटा है। बार-बार सेतु टूटने की घटनाएं घट रही हैं इसके बावजूद सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
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स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ दिन पहले सेतु में दरार देखी गई थी। ठेकेदार और इंजीनियरों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया गया था। इंजीनियरों ने कुछ नहीं होने की बात कही थी। दरार को नजरअंदाज कर दिया गया था। अगर उस समय ध्यान दिया गया होता तो शायद सेतु नहीं टूटता।
मंत्री ने निर्माणकारी संस्था को दोषी ठहराया सुंदरवन विकास मंत्री मंटूराम पाखिरा ने सेतु का निर्माण कर रही कंपनी के मत्थे दुर्घटना की जिम्मेवारी डाली है। पाखिरा के मुताबिक कंपनी ने गार्डरों की मजबूजी वाली लौह संरचना विभागीय इंजीनियरों की अनुमति के बिना ही हटा दी। जिसके कारण हादसा हुआ। उन्होंने कहा किमामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जांच में दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाईकी जाएगी।
4 सितम्बर : दक्षिण कोलकाता में माझेरहाट सेतु टूटा। चार लोगों की मौत हो गई थी और २० से अधिक लोग घायल हो गए थे।
केस-2 7 सितम्बर : सिलीगुड़ी के फांसीदेवा इलाके में पिछुला नदी पर बना सेतु टूटा। —
केस-3 12 सितम्बर : बर्दवान जिले के दुर्गापुर इलाके में कोकवेन थाना क्षेत्र के वीरभानपुर सेतु की रेलिंग टूट गई। हादसे में एक मोटरसाइकिल सवार दो जने की मौत हो गई।