हिंदू महासभा पर हमला, ममता को यह मिला जवाब
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी जयंती पर हिन्दू महासभा पर हमला बोला। दार्जिलिंग के माल में मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। धर्मनिरपेक्ष तथा एकजुट भारत उनका सपना था। दूसरी ओर हिन्दू महासभा ने ममता के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ‘बौद्धिक रूप से दिवालिया’ हो गई हैं।
हिंदू महासभा पर हमला, ममता को यह मिला जवाब
कोलकाता/दार्जिलिंग.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को नेताजी जयंती पर हिन्दू महासभा पर हमला बोला। दार्जिलिंग के माल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। धर्मनिरपेक्ष तथा एकजुट भारत उनका सपना था। इसके लिए नेताजी लड़े भी थे। दूसरी ओर हिन्दू महासभा ने ममता के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ‘बौद्धिक रूप से दिवालिया’ हो गई हैं। मोदी सरकार से लडऩे के लिए इतने नीचे स्तर पर आ गई हैं। उन्हें हिन्दू , महासभा और नेताजी के संबंध के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वह नेताजी को हिन्दू महासभा का विरोधी बता रही हैं। वास्तविकता यह है कि हिन्दू महासभा और वीर सावरकर ने नेताजी से आजाद फौज की स्थापना करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि लाला लाजपत राय की हिन्दू महासभा की छवि को धूमिल करने के लिए ममता ने यह बयान दिया है।
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भाजपा पर परोक्ष हमला
नेताजी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग करते हुए ममता ने कहा कि बोस ने अपने संघर्ष के जरिए यह संदेश दिया कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात में भारत की एकजुटता के लिए लडऩा ही नेताजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। भाजपा का नाम लिए बगैर ममता ने कहा कि नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था। अब धर्मनिरपेक्षता का पालन करने वालों को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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नेताजी को लेकर केन्द्र गंभीर नहीं
उन्होंने आरोप लगाया कि नेताजी के लापता होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए केन्द्र सरकार गंभीर नहीं है। केन्द्र ने कुछ गोपनीय फाइलों को ही सार्वजनिक किया है। वास्तविकता में क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। यह अत्यंत शर्म की बात है कि देश आजाद होने के 70 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम यह नहीं जान पाए हैं कि आखिरकार नेताजी के साथ हुआ क्या था।
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