क्रान्तिकारी और बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि काजी नजरूल इस्लाम के जन्म स्थल पश्चिम बर्दवान के आसनसोल में उनके 119वें जन्म दिन के दूसरे दिन काजी नजरूल विश्वविद्यालय का विशेष दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। हसीना ने कहा कि बांग्लादेश काजी नजरूल इस्लाम के धर्मनिरपेक्ष की भावना के रंग में पूरी तरह से रंग गया है। नजरूल साम्प्रदायिक विरोधी भावनाओं से प्रेरित थे। उन्होंने कहा कि बंगाल बंट सकता है, लेकिन दो महान कवि नजरूल और रवीन्द्रनाथ टैगोर कभी नहीं बटेंगे। दोनों बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के हैं और रहेंगे। असमानता मुक्त समाज बनाने में विशेष योगदान के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति साधन चक्रवर्ती ने पीएम शेख हसीना को डी लिट की उपाधि प्रदान की।
शिक्षा दूर कर सकती है गरीबी
हसीना ने कहा कि उनकी सरकार सिर्फ बांग्लादेश नहीं, बल्कि पूरे उप महाद्वीप के विकास के लिए काम कर रही है। केवल शिक्षा ही गरीबी को दूर कर सकती है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक परम्परा के चलते भारत ने विकास किया है। वे नई पीढी को टकराव, संघर्ष आतंकवाद, उग्रवाद और नशा से मुक्त और सुरक्षित चाहती हैं। प्रधानमंत्री ने बंगाल के उद्योगपतियों से बांग्लादेश में निवेश करने की अपील की। समारोह में राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी उपस्थित थे। हालांकि राज्य के राज्यपाल और विवि के चांसलर केशरीनाथ त्रिपाठी उपस्थित नहीं हुए।