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कोलकाता

‘जलमार्ग परिवहन आज समय की जरूरत’

बंगाल चैम्बर का कार्यक्रम—8वां वार्षिक शिपिंग कॉन्क्लेव-लॉजिस्टिक्स इन इंडिया

कोलकाताDec 07, 2018 / 09:11 pm

Shishir Sharan Rahi

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‘जलमार्ग परिवहन आज समय की जरूरत’

कोलकाता. सडक़ों पर बढ़ते प्रदूषण, भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं के दबाव को कम करने के लिए वैकल्पिक परिवहन के रूप में जलमार्ग परिवहन आज के समय की नितांत आवश्यकता है, क्योंकि इसके उपयोग से पर्यावरणीय लाभ भी है। भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय के आईए और एएस अध्यक्ष प्रवीर पांडे ने बंगाल चेम्बर की ओर से शुक्रवार को आयोजित ८वें वार्षिक शिपिंग कॉन्क्लेव-लॉजिस्टिक्स इन इंडिया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जलमार्ग परिवहन उपभोग्य ही नहीं, बल्कि विश्सनीय और स्थिर है। जलमार्ग परिवहन ने हाल ही इस मिथक को गलत साबित कर दिखाया है कि नवबंर-दिसंबर में इसके जरिए परिवहन नहीं हो सकता। बंगाल चेम्बर के अध्यक्ष इंद्रजीत सेन, कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के चेयरमैन विनीत कुमार, पश्चिम बंगाल सरकार के डब्लूबीसीएस (एक्सई), जेट सचिव, परिवहन विभाग, अतिरिक्त निदेशक, कोलकाता जोन, परिवहन निदेशालय अमिताभ सेनगुप्ता के आतिथ्य में बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय जलमार्गों में पोत परिवहन को अधिक लाभदायक बनाने के मकसद से जलयानों में ईंधन के रूप में मेथनॉल के इस्तेमाल के लिए एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है। प्रधिकरण अंतर्देशीय जलमार्ग की सूत्रधार एजेंसी है और उसने मेथनॉल से चलने वाली नौकाएं और मालवाहक पोत खरीदने के ऑर्डर दिए हैं। पांडे ने कहा कि नीति आयोग से स्वीकृति के बाद कोचीन शिपयॉर्ड को 3 पुरानी नौकाओं में मेथनॉल ईंधन से चलने वाले ईंजन लगाने तथा उथले जलमार्ग में चलाने लायक 1,000-2,000 टन माल ढुलाई क्षमता वाले 6 मेथनाल चालित पोत बनाने का ऑर्डर दिया जाएगा।
— तो ईंधन की लागत महज 26 रुपए प्रति लीटर
साथ ही कोलकाता में 3 कार्यबोर्ड तैयार किया जा रहा। इसके अलावा 6 कार्गो जहाजों को मेथनॉल इंजन के साथ डिजाइन किया जा रहा है और अगले साल जनवरी तक रीट्रोफिटिंग शुरू होने की उम्मीद है। इसके लिए स्वीडन से प्रौद्योगिकी की मदद ली जा रही। पांडे ने कहा कि मेथनॉल को एक क्रांतिकारी और परिवर्तनकारी कदम बताते हुए कहा कि यदि यह प्रयोग सफल हो जाता है, तो इस ईंधन की लागत महज 26 रुपए प्रति लीटर होगी। आधुनिक क्रेन, जेटी और यांत्रिक उपकरणों के उत्पादन से रसद समय में अधिक दक्षता और कमी आएगी। इसके अलावा भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण यूरोप के माल ढुलाई गांवों की अवधारणा विकसित कर रहा है। झारखंड के साहिबगंज में इसके लिए 300 एकड़ भूमि ली गई है। निजी क्षेत्र को उनके उत्पादों का निर्माण, पैक और निर्यात या परिवहन विकसित करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। बंगाल चैंबर के अध्यक्ष इंद्रजीत सेन ने कहा कि इस तरह की सुविधाओं और व्यापार करने में आसानी के कारण भारत की रसद लागत वैश्विक स्तर पर १० से 12 फीसदी के मुकाबले लगभग 16 प्रतिशत तक हो चुकी है। बंगाल का परिवहन विभाग आरओआरओ जहाजों और बैकएंड सुविधाओं जैसे टर्मिनल और कार्यशालाओं के विकास में 1000 करोड़ का निवेश कर रहा है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के अध्यक्ष विनीत कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि रसद पूरी औद्योगिक श्रृंखला की लागत का एक महत्वपूर्ण तत्व है। भारत में इसका हिस्सा १४ से १६ प्रतिशत है। ऐसी कई कंपनियां हैं जिनका व्यापार मॉडल वॉलमार्ट पर केंद्रित है। कोलकाता पूर्वी हिनटरलैंड का प्रवेश द्वार है। कोलकाता बंदरगाह देश में तीसरी स्थिति में है। कोलकाता में एक और बर्थ विकसित किया जा रहा और 2 माह में अतिरिक्त बर्थ नंबर 3 होगा। अन्य मुख्य वक्ताओं मे आईआरटीएस एसए रहमान (ग्रुप जीएम, जीजीएम-सीएंडओ-ईस्टर्न रीजन कन्टेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) आदि मौजूद थे।

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