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कोलकाता

विमल गुरुंग से भाजपा ने पल्ला झाड़ा

गोजमुमो प्रमुख के बारे में पार्टी का कोई स्टैण्ड नहीं- दिलीप घोष

कोलकाताMar 17, 2018 / 10:58 pm

Manoj Kumar

kolkata west bengal
कोलकाता
सुप्रीम कोर्ट में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) प्रमुख विमल गुरुंग की याचिका खारिज होने के बाद भाजपा ने उनसे पल्ला झाड़ा लिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने शनिवार को कहा कि मामला अदालत में है। उनकी पार्टी विमल गुरुंग के बारे में कुछ नहीं कहेगी और न ही उनके संबंध में पार्टी का कोई स्टैण्ड है। वे इस दिन कोलकाता के आईसीसीआर में भाजपा कार्यकर्ताओं के कार्यशाल में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय गोजमुमो और भाजपा का गठबंधन था। चुनाव आने पर दोनों पार्टियां आपस में बातचीत कर तय करती है कि कहां किसको समर्थन करना है। इसके आगे गोजमुमो से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। उसका दलगत आदर्श और नीति अलग है और हमारी पार्टी के आदर्श और नीति अलग है। इस लिए विमल गुरुंग के बारे में हमारा कोई स्टैण्ड नहीं है और न ही उनके गतिविधियों के लिए पार्टी जिम्मेवार है।
तृणमूल कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो फैसला करेगा उसे सबको मानना होगा। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट सभी के काम पर संदेह जाहिर करती है और उसके नेता समझते हैं कि वे जो कह रहे हैं वही सही है। जब तक कोई सरकार और तृणमूल कांग्रेस के साथ है तब तक वह ठीक है। जब वह सरकार के साथ नहीं होंगे तो उनके लिए कोई जगह नहीं हैं। बंगाल में एेसी ही घटना देने को मिल रही है। पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष और विमल गुरुंग के साथ ऐसा ही हुआ है। लोकतंत्र में ऐसा नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट से विमल गुरुंग को झटका
गुरुंग को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा। न्यायमूर्ति एके सीकरी तथा अशोक भूषण की खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज करते हुए गिरफ्तारी पर लगाई गई रोक को हटा लिया। गुरुंग ने याचिका में मांग की थी कि उनके विरुद्ध दर्ज सभी मामलों की जांच बंगाल की एजेंसियों की जगह केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए अथवा सीबीआई से करवाई जाए। याचिका पर फैसला सुनाते हुए खंडपीठ ने पुलिसिया जांच पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज किसी भी मामले में न तो पुलिस के पास ठोस सबूत हैं और न ही कोई मामला किसी नतीजे पर पहुंचने की हालत में है। जांच को विवेचना के चरण में स्थानांतरित करना तकनीकी तौर पर न्यायहित में नही होगा। साथ ही इन मामलों में राज्य की पुलिस को किसी कार्रवाई से रोकना बेवजह कानूनी कार्रवाई में अड़चन डालने के समान होगा। न्यायालय ने गुरुंग को जांच ट्रांसफर के लिए उचित न्यायालय की शरण में जाने की छूट जरूर प्रदान की।

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